Friday, March 16, 2012

आवश्यकता









आवश्यकता -

                       कहने को तो ये मात्र एक कहानी है  एक छोटी सी घटना हैं लेकिन कभी कभी एक छोटी सी घटना भी हमे बहुत कुछ सिखा देती हैं आवश्यकता हैं तो बस सबक लेने की कुछ सीखने की -

अरे अम्मा क्या ढूंड रही हो? अम्मा की सोने की नग कही गिर गई थी अरे कुछ नहीं बेटा मेरा नग गिर गया हैं बस उसे ही ढूंड रही हूँ , अरे अम्मा आप भी न देखो दिन ढल आया हैं अँधेरा हो गया हैं और इस अँधेरे मैं आप नग ढूंड रही हैं अरे अम्मा नग तो उजाले मैं मिलेगा ये, कह कर वो व्यक्ति चला गया बुढ़िया को भी ये बात ठीक लगी ठीक ही तो कह रहा हैं उजाले मैं मिलेगी और मैं पगली अँधेरे मैं खोज रही हूँ ।

बुढ़िया ने देखा कुछ ही धुरी पर एक अलाव जल रहा था जिसके कारण बहुत प्रकाश हो रहा था बुढिया अलाव की दिशा मैं चल दी और अलाव के प्रकाश मैं अपना नग ढूंडने  लगी बहुत देर हो गई पर बुढ़िया को अपना नग नही मिला.
एक और आदमी बुढ़िया को कुछ ढूंडता देख रुका और बोला  - अरे अम्मा क्या हुआ क्या ढूंड रही हो?...
अरे बेटा कुछ नहीं मेरा नग गिर गया हैं उसे ही ढूंड रही हूँ आदमी ने पूछा अम्मा आपका नग कहां गिरा था ! अरे बेटा मेरे घर के आँगन मैं गिरा था आदमी चकित था नग गिरा हैं घर के आँगन मैं और ये पागल बुढ़िया उसे यहाँ ढूंड रही हैं.
अरे अम्मा नग तो वही मिलेगा ना जहाँ  गिरा था.
बुढिया को कुछ समझ नहीं आया कोई कह रहा हैं उजाले मैं तलाश करो तो कोई कह रहा हैं आँगन मैं मैं क्या करूँ?
दरअसल दोनों मैं से किसी आदमी की बात गलत नहीं थी दोनों अपनी जगह सही हैं फेर तो बुढ़िया की अक्ल का हैं।
वेसे तो यह घटना साधारण हैं पर इसमें छुपा तथ्य असाधारण हैं -
आज कुछ एसा ही हो रहा हैं जहाँ काम की आवश्यकता हैं वहा काम नहीं हैं और जहा पहले से ही प्रकाश है वह लोग नग ढूंड रहें हैं बुढ़िया को चाहिए था की जहा नग गिरा वहा प्रकाश करे पर बुढ़िया नग वहा ढूंड रही थी जहा पहले से ही उजाला था.
आज जिसे देखो ऐसा ही कर रहा हैं. अँधेरे मैं प्रकाश लाने की मेहनत कोई  नहीं करना चाहता मेरा आशय यह हैं की आज कोई विपदाओ मैं काम नहीं करना चाहता कोई भी वहा अपनी सेवाए नहीं देना चाहता जहा उसकी आवश्यकता हैं.
आज कौनसा डॉक्टर गावं मैं जाकर सेवा करने को तेयार हैं सभी शहर  की आराम दायक परिस्थितियों मैं रहकर धन कमाना चाहते हैं.
कौन सा वैज्ञानिक अपने देश मैं रहकर देश को शक्ति शाली बनाने मैं अपना योगदान देना अपना फर्ज समझता   हैं?
 कोई वैज्ञानिक  इसरो मैं काम नहीं करना चाहता अवसर मिलने पर सभी नासा मैं ही अपनी सेवाए देना चाहते हैं. 
आज सभी अपनी सेवाए विदेशो मैं देना चाहते हैं जहा पहले से ही विकाश का प्रकाश रोशन हैं.
कोई भी इस अँधेरे देश मैं प्रकाश नहीं लाना चाहता अपनी सेवाए नहीं देना चाहता.
 शायद हम भूल गये हैं की ये घर हमारा हैं चाहें केसा भी हो पर हैं तो अपना ही घर.