Wednesday, April 4, 2012

आत्म बल के जागरण का पर्व

व्यक्ति मे कई प्रकार के बल होते है
जिनमे शारीरिक बल ,धन-बल ,चारित्रिक बल,
बुध्दि बल ,मानसिक बल होते है
शारिरिक रूप से बलवान व्यक्ति पहलवान कहलाता है
चारित्रिक रुप से बलवान व्यक्ति चरित्रवान कहलाता है
आर्थिक रुप से बलवान व्यक्ति धनवान कहलाता है
बौध्दिक रुप से बलवान व्यक्ति बुध्दिमान कहलाता है
मानसिक बल से सम्पन्न व्यक्ति मनीषी कहलाता है
उपरोक्त बलो का संबन्ध व्यक्ति के शरीर 
एवम शरीर से जुडी इन्द्रियो से होता है 
आत्म-बल का संबन्ध व्यक्ति की आत्मा से होता  है
बल के अनुसार व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार अपने -अपने क्षैत्र
मे पुरूषार्थ का प्रदर्शन करता है 
उसी के अनुसार उसकी योग्यता ,
पराक्रम या वीरता के मानदंड स्थापित होते है
महावीर जयन्ती आत्म बल की श्रेष्ठता से जुडी वीरता के बारे मे है
 आत्मा  का बल आत्मा से जुडा हुआ है
आत्मा का बल आत्मा की शुध्दी से है 
 महावीर स्वामी  ने आत्मा के शुध्दी के उपाय बताये है 
उन्होने आत्मा बल की जाग्रति पर अधिक जोर दिया है
यदि व्यक्ति शारीरिक रुप से आर्थिक रूप से बौध्दिक रूप से कितना ही सम्पन्न हो
किन्तु उसमे आत्म-बल का अभाव है तो 
ऐसा व्यक्ति आत्मविश्वास से शून्य होता है 
आत्मबल कारण ही व्यक्ति अपनी सभी इन्द्रियो पर विजय प्राप्त कर सकता है
आत्मबल के कारण व्यक्ति मे संकल्प के प्रति
 सहज ही दृढ़ता  आ जाती है
और  वह काम क्रोध ,लोभ,मोह ,अहंकार,लोकेषणा इत्यादी भावना पर विजय प्राप्त कर सकता है
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक व्यक्ति मे अच्छे व बुरे विचारो का द्वन्द का निरन्तर चलता रहता है
बुरे पर अच्छे विचारो की विजय तभी संभव होती है जब व्यक्ति आत्मबल से युक्त होता है
ऐसे व्यक्ति को ही महावीर का संबोधन दिया जाता है इसलिये महावीर जयन्ती को आत्मबल का जागरण के पर्व
के रुप मे मनाया जाय तो भगवान महावीर स्वामी के प्रति सच्ची श्रध्दान्जली होगी