Saturday, June 9, 2012

शनि देव एवं उनका न्याय विधान

शनि देव का वर्ण काला होता है जबकि वे प्रकाश के अधिपति सूर्य के पुत्र है
शनि देव की साढे साती या ढैया क्यो लगती है
उपरोक्त बिन्दुओ पर विचार किया जाना आवश्यक है
सामान्य तौर पर हम देखते है कि
अपराध अधिकांशत अंधेरे मे घटित होते है
अपराधिक प्रव्रत्तिया अंधेरे का लाभ उठाती है
वैज्ञानिक तथ्यो से यह प्रमाणित हो चुका है कि
ब्रह्मांड मे भीतर मौजुद द्रव्य मे ९०प्रतिशत डार्क मेटर विध्यमान है
इसलिये प्रकाश के अधिपति सूर्य देव ने उनके पुत्र शनि देव को
न्याय की स्थापना हेतु नियुक्त किया है
सूर्य देव से शनि देव चाहे कितने ही दूर हो
वे अन्याय के अंधकार मे न्याय का दीप जलाये बैठे है
साढे साती और ढैया आखिर क्या है
साढे साती और ढैया शनि देव के द्वारा निर्धारित किये गये दंड के अनुपात है
क्योकि अनुपातहीन दंड देना भी अन्याय के समान होता है
किसी भी अपराध की गंभीरता अपराधी के आशय से आंकी जा सकती है
समान अपराध होने के बावजुद उनकी गंभिरता और व्याप्ति भिन्न -भिन्न हो सकती है
अपराध मे आशय निहीत हो तो दंड अधिक होता है
अपराध मे उपेक्षा या प्रकोपन का भाव हो तो दंड की मात्रा कम होती है
अपराधी मानव रचित न्याय प्रक्रिया से भले ही बच जाये
किन्तु ईश्वरीय विधान अधीन नियुक्त शनि देव की वक्र द्रष्टि से
कोई भी व्यक्ति नही बच सकता
ऐसे व्यक्ति को परिस्थितियो का दंश झेलना पडता है