Saturday, August 25, 2012

सच्चा सौन्दर्य

सुन्दरता के अपने अपने मानदंड होते है
किसी व्यक्ति को जो वस्तु सुन्दर दिखती हो
आवश्यक  नही कि उसमे दूसरे व्यक्ति को सौन्दर्य दिखे
परन्तु वास्तविक सौन्दर्य हम किसे कहेंगे
वह सौन्दर्य जो समग्र और परिपूर्ण हो
जिसमे बाहरी सौन्दर्य के साथ-साथ आतंरिक
  सौन्दर्य भी निहीत हो
एक सामान्य कद काठी एवं नैन नक्श वाली महिला भी
तब  आकर्षक सौन्दर्य की स्वामिनी हो सकती है
जबकि उसमे स्त्रियोचित गुण हो
तथा विविध कलाओं मे निपुण हो
दूसरी और एक ऐसी स्त्री जो रूपवान हो
किन्तु म्रदुभाषी नही हो,जिसके जीवन मे शुचिता नही हो
लज्जा रूपी गहना जिसने धारण नही किया हो
सुन्दर होने के बावजूद मे वह अपने सौन्दर्य से
परिवार एवम समाज को प्रभावित नही कर सकती
तथा उसका गुणविहीन बाहरी सौन्दर्य
कब उसके लिये अभिशाप बन जाता है
यह उसे भी नही पता चल पाता है
उसके सौन्दर्य मे लोगो को फुहडता दिखाई देती है
सौन्दर्य की देवी महालक्ष्मी को कहा जाता है
जिस प्रकार महालक्ष्मी वहा निवास करती है
जहा स्वच्छता होती है
उसी प्रकार सच्चा सौन्दर्य शुचिता मे निवास करता है
शुचिता बाहरी और आतंरिक दोनो प्रकार की होनी चाहिये
सच्चा सौन्दर्य  आतंरिक शुचिता से है