वसंत पंचमी


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वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है
वर्तमान मे धन का महत्व होने के कारण
बुद्धि और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा करने के स्थान पर
माता महालक्ष्मी की पूजा को प्रधानता देते है
परन्तु यह तथ्य भूल जाते है कि
त्रि-देवीयो मे महालक्ष्मी का स्थान मध्य मे रहता है
महालक्ष्मी जी के एक और माता सरस्वती
दूसरी और महाकाली विराजमान रहती है
अर्थात माता महालक्ष्मी को
एक और बुद्धि का दूसरी और बल का संरक्षण प्राप्त होना चाहिये
बल का संरक्षण प्राप्त होने पर धन की सुरक्षा तो हो सकती है
परन्तु स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति और उसमे वृद्धि नहीं हो सकती है
कहते है व्यक्ति को श्री हीन होने का प्रथम लक्षण 
उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाना होती है
व्यक्ति तरह-तरह के व्यसनो मे लिप्त हो जावे तो
विरासत मे प्राप्त सम्पदा का भी शनैः शनैः क्षरण होने लगता है
इसलिये धन को स्थिरता प्रदान करने हेतु
माँ  सरस्वती का आशीर्वाद भी व्यक्ति के शीश पर होना चाहिये
वसंत पंचमी का महत्व इसलिये भी है कि
ऋतुओ का राजा वसंत को कहा गया है
वसंत ऋतुस्वास्थ्य की द्रष्टि से उत्तम मानी गई है
जिसका स्वास्थ्य अच्छा हो उसके तन मन मे
किसी प्रकार के विकार नही होने चाहिये
व्यक्ति शारीरिक विकारो से मुक्त हो सकता है
मानसिक विकारो से मुक्त होना प्रत्येक व्यक्ति के लिये संभव नही है
मानसिक विकारो से मुक्त होने के दो ही उपाय है
या तो वांछित अभिलिषीत वस्तुओ की प्राप्ति
या इन्द्रियो पर विजय प्राप्त करके विकारो का शमन करना
वसंत ऋतु मेनियंत्रित नियमित जीवन जीते हुये
अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठाकर
मानसिक विकारो का शमन करने का पर्व भी है