Wednesday, April 9, 2014

चुनाव के आयाम

लोगो का कहना है कि चुनाव महंगाई बढ़ाते है 
परन्तु सच यह है कि चुनाव रोजगार उपलब्ध कराते है 
चुनावी पोस्टर हेतु उपयोगी सामग्री के निर्माण से लगाकर
 प्रकाशन में कितने लोग लाभान्वित  हो जाते है 
यदि गणना कि जाए आश्चर्यजनक आंकड़े सामने आ जायेगे
 चुनाव प्रचार से बंद होने कि स्थिति में पड़ी हवाई 
जहाज कि कम्पनियो को संजीवनी प्राप्त हो जाती है 
नेताओ के तूफानी दौरे जो हो रहे है 
चुनाव किसी भी दृष्टि से अनुपयोगी नहीं है
 चाहे कोई सी भी पार्टी हारे या जीते
 वास्तव में जीत तो उन कार्यकर्ताओ,नेताओ  कि होती है 
जो आलस्य वश अधिक मोटे हो चुके है 
या मोटापा के कारण बीमार हो गए हो 
चुनाव कि घोषणा होते ही 
वे बिना दवाई के ही स्वस्थ हो जाते है
 और जन सम्पर्क हेतु आयोजित कि जाने वाली 
रैलियो में अदम्य साहस का परिचय देते हुए 
मीलो पद यात्राये कब पूरी कर लेते है
 और कब उनका आशातीत वजन कम हो जाता है
 पता ही नहीं चलता
 चुनाव उन समाचार चैनलो के लिए सामग्री लेकर आता है
 जो नयी -नयी और सन -सनी खेज सामग्री के लिए तरसते रहते है ऐसे अभिनेता -अभिनेत्रियों के लिए एक अवसर है
 चुनाव जिनका कैरियर समाप्त हो चुका हो
 या समाप्त होने कि अवस्था में हो
 ऐसा लगता है उनकी फिल्मोद्योग से
 सम्मान पूर्ण विदाई का उत्तम  माध्यम है 
इसलिए जो लोग यह कहते है
 चुनाव निरर्थक वे गलत है चुनाव के कई आयाम है
चुनाव का एक अलग अर्थ शास्त्र है 
ढीले और राजनैतिक हस्त क्षेप से मुक्त होने कि 
एक आवश्यक  प्रशासनिक शल्य क्रिया है  

कंस और श्रीकृष्ण

कंस जो भगवान् कृष्ण का मामा था
 क्या इतना क्रूर व्यक्ति था ?
क्या भगवान् कृष्ण के जन्म का एकमात्र उद्देश्य
 कंस का वध करना ही था ?
उक्त प्रश्नो के उत्तर सामान्य नहीं है 
वास्तव में देखा जाय तो कंस भले ही अच्छा शासक नहीं था 
परन्तु इतना अधिक क्रूर नहीं था कि 
अकारण अपनी सगी बहन को कारावास में डाल दे 
आकाशवाणी होने के पूर्व
 कंस उसकी बहन देवकी का आदर्श भ्राता था
 देवकी और वसुदेव का विवाह अत्यंत भव्य तरीके से
 कंस ने सम्पन्न कराया था 
कंस अपनी बहन देवकी से अत्यधिक  स्नेह रखता था 
विवाह के पश्चात जैसे ही आकाशवाणी से
 कंस को अवगत कराया गया कि
 देवकी का अष्टम पुत्र  उसका वध कर देगा 
कंस का ह्रदय परिवर्तन हो गया 
उसका बहन के प्रति स्नेह घृणा में परिवर्तित हो गया 
यही से उसकी क्रूरता प्रारम्भ हुई कंस कि यह मानसिकता 
 सामान्य मानव स्वभाव है कौन व्यक्ति चाहेगा कि
 उसका सबसे घनिष्ठ व्यक्ति ही उसका वध कर दे  
भगवान् कृष्ण के अवतार का उद्देश्य भी 
यदि कंस वध तक सीमित होता तो वे 
सत्य पर असत्य  की विजय यात्रा को 
कंस के वध के पश्चात आगे नहीं बढ़ाते 
मथुरा के राज्य के राजा बन कर सीमित अर्थो में 
अपनी उपयोगिता प्रमाणित करते 
परन्तु श्रीकृष्ण के अवतार का उद्देश्य कंस  ही नहीं 
अपितु समस्त  धरा पर कंस के सामान 
 कुशासन से जनता को मुक्ति दिलवाना था
समय -समय पर यह कार्य अनेक युग पुरुषो ने किया है
 चाहे वे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन हो या 
दक्षिण अफ्रिका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला 
 महापुरुष कभी निज उद्देश्य के लिए संघर्ष नहीं करते 
भले उनका संघर्ष  व्यक्तिगत स्तर पर शुरू हुआ हो 
परन्तु वह जनोन्मुख होकर सर्वजन हिताय हो जाता है