Friday, May 16, 2014

शुभ कर्म

व्यक्ति कितना गुणवान हो 
उसकी एक त्रुटि सारे जीवन को कलंकित कर देती है 
व्यक्ति कितना ही पतित हो उसका एक शुभ कर्म 
उसके जीवन की दिशा बदल देता है 
रावण कितना गुणवान था विद्वान  और एक अच्छा शासक था 
उसका राज्य लंका अभेद्य और प्राकृतिक रूप सुरक्षित था
सम्पूर्ण राज्य  मे धन धान्य पर्याप्त मात्रा  मे था 
अर्थात कोई व्यक्ति निर्धन और दुर्बल नहीं था 
उसके राज्य में पराक्रमी और बलवान योध्द्दा थे 
फिर भी एक गलती ने उसे पतन के मार्ग की और धकेल दिया 
इसके विपरीत डाकू रत्नाकर 
कितना निर्दयी  क्रूर और पतित व्यक्ति था 
एक शुभ कर्म ने उसके जीवन की दिशा बदल दी और वह 
महर्षि वाल्मीकि के रूप विख्यात हुआ
पर प्रश्न यह है की शुभ कर्म भी 
इस स्तर का होना चाहिए की 
वह शेष पतित कर्मो के भार को कम कर दे 
 और कोई भी दोष की तीव्रता 
इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए की 
 वह व्यक्ति के सदगुणो की आभा को मंद कर दे