वर्तमान में कुछ लोगो में
विशेष दिखने की चाहत दिखाई देती है
भीड़ में स्वयं को भिन्न दिखाने के लिए
लोग क्या क्या उपाय नहीं करते है
विशेषकर यह प्रवृत्ति युवा पीढ़ी में पाई जा रही है
जो मात्र सुविधाओ तथा उत्कृष्ट जीवन शैली को
अपना कर स्वयं को विशिष्ट श्रेणी का बताने का
प्रयास करते है
परन्तु वे भूल जाते है कि
मात्र भौतिक सुविधाओ एवं ऊँचे रहन सहन से
कोई व्यक्ति विशिष्ट नहीं हो जाता
व्यक्ति को विशिष्टता धारण करने के लिए व्यक्अपराधिक तिगत गुणों का विकास करना होता है
बिना किसी पात्रता कर्म कौशल एवं मानवीय गुणों के जो व्यक्ति सुविधाओ के बल पर
विशेष दिखना चाहता है
वह जन मानस को भीतर तक
प्रभावित नहीं कर पाता है
मात्र स्वयं को भ्रान्ति में ही डालता है
अक्सर ऐसे युवा जो बिना किसी आधार के
उच्च स्तर की जीवन शैली की ओर उन्मुख होते है
वे कालान्तर में अपनी महंगे शौक और व्यसनों से ग्रस्त होकर अपराध कृत्यों में लिप्त हो जाते है
इसलिए विशिष्टता व्यक्तित्व होती है साधनो के बल पर कोई भी व्यक्ति विशिष्ट नहीं हो सकता