Wednesday, November 25, 2015

शुभ लाभ

लाभ हमेशा शुभ हो यह आवश्यक नहीं है
अनुचित साधनो उपायो से 
अर्जित लाभ अशुभ होता है 
ऐसा लाभ आपने साथ 
अशुभ संकेतो को ले आता है
इसलिए हिन्दू रीती रिवाजो 
तीज त्यौहारो पर शुभ को लाभ से 
अधिक महत्व दिया गया है 
कर्म यदि शुभ हो तो लाभ प्राप्त हो ही जाता है
 अधिक न सही पर जितनी मात्रा में भी हो 
शुभ कर्मो से लाभ प्राप्त होता है 
वह इस प्रकार का निवेश होता है 
जिससे निरंतर लंबे समय तक 
कई प्रकार के लाभ मिलते रहते है 
जबकि लाभ को आगे रख कर 
जो भी कार्य किया जाता है 
उसमे अशुभ कर्म की प्रधानता रहती है
 ऐसे कर्मो से अर्जित धन तमो गुण से युक्त होता है अतः लाभ शुभ के स्थान पर 
शुभ लाभ का अधिक महत्व है 
जो व्यक्ति केवल लाभ की भावना से कार्य करता है उसे समाज में स्वार्थी कहा जाता है
 और जो व्यक्ति शुभ संकल्पों की 
पूर्ति के लिए पुरुषार्थ करता है
 उसे परमार्थी परोपकारी कहा जाता है 
 समाज में लाभ के साथ प्रतिष्ठा भी प्राप्त करता है