Thursday, April 28, 2016

समय

कस्तूरी और दुर्गा दोनों पति पत्नी  न्यायालय बाहर खड़े अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे |उनके रघु द्वारा साथ हुई मारपीट में जो बयान देने के लिए आये थे |थोड़ी देर में उन्हें पुकारा गया भीतर न्यायालय कक्ष में पहुचे रघु के वकील साब जो तारीख बढ़ाने के लिए खड़े थे |इतने देर में ही कस्तूरी और दुर्गा से रहा नहीं गया और बोल पड़े की साहब हम राजीनामा करना चाहते है |जज साहब और वकील साहब दोनों स्तब्ध हो उन्हें देख रहे थे| जज साहब ने पूछा आप राजीनामा क्यों करना चाहते हो| दोनों पति पत्नी बोल पड़े की दिन भर मजदूरी करने के बाद हमें शाम को रोटी मिलती है |हमें इतना वक़्त कहा है कि लड़ाई झगड़ा में अपना समय खराब करे |यह सुनकर अभियुक्त रघु की आँखों में पश्चात्ताप के आंसू आ गए सोच रहा था ,कि एक तरफ तो जिसने अकारण कस्तूरी और दुर्गा के साथ मारपीट की और दूसरी तरफ वे कस्तूरी दुर्गा के पास आजीविका के साधन जुटाने की व्यस्तता में लड़ाई झगड़े का भी समय नहीं है

Sunday, April 17, 2016

महाकाली का श्याम वर्ण क्यों?

महाकाली का वर्ण काला क्यों होता है ?
महाकाली के काले वर्ण का रहस्य क्या है?
महाकाली का उद्भव इसलिए हुआ था कि
अपराजेय दैत्य को परास्त करना देवताओ के
लिए असम्भव हो गया था दैत्य को निशाचर
भी कहा जाता है अर्थात उनकी शक्तिया रात्रि
अधिक प्रभावी हो जाती थी रात के अँधेरे का
लाभ उठाकर अमानवीय अत्याचार करते थे
धोखे देवताओ पर प्रहार कर उन्हें पीड़ित करते थे
इसलिए दैत्यों का परास्त करने उनका समूल नाश
करने के लिए देवी ने श्याम वर्ण धारण किया
और निशाचरों को गहन अंधेरो में छुपने का मौका
नहीं दिया उनका चुन चुन कर वध किया

Thursday, April 14, 2016

नवरात्रि

नवरात्रि देवी का पूजन है
जप है तप है आराधना है
नवरात्रि नवल सृजन है
नवीन संकल्प है कर्म साधना है
नवरात्रि क्रिया शक्ति है महामंत्र है
ओंकार मात्रा है
आंतरिक शक्तियो का जागरण है
आध्यात्मिक यात्रा है
नवरात्रि गहन अन्धकार में
उजाले की आस है
भौतिक जगत के मध्य
नवधा भक्ति है ज्ञान की प्यास है
नवरात्रि भावनाओ का एक क्रम है
संवेदनशीलता है
नवीन अनुभूतिया पाने का उपक्रम है
नवरात्रि मातृ शक्ति का वरदान है
देवी का गुणगान है देवीयता धारण कर ही
व्यक्ति बना महान है

Wednesday, April 6, 2016

आया अब सिंहस्थ

  संत जहां पर मस्त हुए ,दुर्जन दल है पस्त   
 महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
हरसिध्दि भी हरी भरी हरे भरे हो स्वस्थ 
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
मंगल दंगल हुआ करे मिटे शंख से कष्ट 
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
संतो का अब संग रहे कभी नहीं हो भ्रष्ट 
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
सिंह के जैसा भाव रहे गज सा हो मदमस्त 
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
क्षिप्रा रेवा मिल गई मिले संत से गृहस्थ 
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
संता बंता ढूँढ  रहे सिध्द मिला न हस्त 
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ 
भीड़ में भक्ति  ग़ुम गई कटी जेब से त्रस्त
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिंहस्थ
अब तक शाही भोज किया अब शाही स्नान करो
महाकाल उज्जैनी में आया अब सिहस्थ