भगवत सत्ता का जीवन दर्शन

आस्तिक भाव धारण करने वाला व्यक्ति
 व्यवहारिक जगत में
 भगवद् सत्ता का अनुभव करता है 
          सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण व्यक्तित्व 
जीवन के हर क्षेत्र में ईश्वरीय शक्तियो की 
उपस्थिति को पाता है  
जो व्यक्ति इस प्रकार की अनुभूतियों से
 परिपूर्ण होता है 
उसे साधना उपासना के लिए
 विशेष प्रयत्न नहीं करना पड़ता है 
उसे स्वतः की ईष्ट का
 आशीष प्राप्त हो जाता है
 इस सिद्धांत का आधार यह है कि
 ईश्वर निराकार स्वरूप में 
प्रत्येक प्राणी और पदार्थ में विद्यमान है
  भौतिक जगत की समस्त रचनाये 
 उसी  की रची हुई है 
समय समय पर विशेष परिस्थितियों में ही
 वह केंद्रीकृत होकर साकार रूप धारण करता है 
तब उसके साकार स्वरूप को
 लोग अवतार के रूप में जानते है