मंत्र जीवित रहते व्यक्ति की आत्म बल को बढ़ाता है
परन्तु व्यक्ति के मृत हो जाने के बाद भी उसका प्रभाव आत्मा के साथ बना रहता है किसी भी मंत्र का जप नियमित रूप से दीर्घ अवधि तक किया जाता है तो वह आत्मा का संस्कार बन जाता है देह की अचेतन अवस्था मे वह आत्मा के पंख की तरह क्रियाशील हो जाता है आत्मा मंत्र रूपी पंखो के सहारे इच्छित दिशा में चलायमान होने में समर्थ होती है वह स्वयं के निर्णय लेने में समर्थ रहती है नकारात्मक शक्तियां मंत्र शक्ति से परिपूर्ण आत्मा को प्रभावित नही कर सकती है इसलिए जीवन मे नियमित मंत्र जाप अत्यंत उपयोगी है