Sunday, July 8, 2018

खरारी भूषण

त्रेता युग मे खर दूषण नामक राक्षस थे जिनके पास 14000 सैनिक थे वनवास के दौरान श्रीराम से उक्त राक्षसों से युध्द हुआ था उसमें जिस धनुष का श्रीराम द्वारा उपयोग किया गया था उसे खरारी भूषण कहा जाता है संस्कृत में अरि का अर्थ शत्रु कहा गया है श्रीराम के जीवन वह पक्ष जो वनवास गमन के पश्चात और हनुमान मिलन के पूर्व का महत्वपूर्ण है क्योंकि तब न तो उनके पास अयोध्या का वैभव और सैन्य दल था और न ही विशाल वानर सैना थी हनुमान जी जैसा सेवक भी तब उनके साथ नही था उस समय उनके पास मात्र भ्राता लक्ष्मण और पत्नी सीता सहित खरारी भूषण धनुष था एक साथ दोनो भाइयो द्वारा चौदह हजार सैनिको सहित खर दूषण दैत्यों का संहार करना चमत्कारिक है और उनकी सामर्थ्य को समझने के लिए पर्याप्त है । सत्य अर्थ में भगवान राम वह कार्य काल ही वनवास था ।स्वयं के परिश्रम से कुटिया बनाकर रहना ।वृक्षो से फल तोड़ कर भोजन करना ।बचे हुए समय मे अत्रि अगस्त्य ऋषियों से भेंट करना एक ऐसे व्यक्तित्व को हमारे सामने लाकर खड़ा करता है जो अद्भुत शक्तियों का स्वामी होते हुए सामान्य व्यक्ति की तरह संघर्ष कर जीवन अभावो में जीवन जीता है व्यक्ति जब तक अभावो का अनुभव नही करता तब तक संवेदनशील नही हो सकता ।संवेदनशीलता प्राप्त करने के लिए जीवन में साधनों प्रचुरता होना बाधक है अभाव अपमान कष्ट साधक है ऐसे में खरारी भूषण याद आता है धन्य है वह भूषण जो श्रीराम का अभावो में साथी रहा