Monday, April 26, 2021

कोरोना काल के सबक

जिनके विचारो में सकारात्मकता  की प्राणवायु होती है उन्हें कुदरत से सहज ही प्राणवायु अर्थात ऑक्सिजन सुलभ हो जाती है । जिन लोगो को इस दौर में ऑक्सिजन प्राणवायु के सिलेण्डर की आवश्यकता महसूस हुई हो । वे संकल्प ले कि वे प्राणवायु देने वाले वृक्षो का रोपण ही न करे अपितु उन्हें सिंचित कर बड़ा भी करे।
          जिन लोगो के रिश्तेदारों कोरोना काल मे अंतिम संस्कार हेतु लकड़ीयो की कमी से जूझना पड़ा हो उनको यह संकल्प लेना चाहिये कि वे  अपने जीवन काल मे पर्याप्त लकड़ीया देने वाले वृक्षो को बोकर उन्हें छाया देने वाले  विशाल वृक्षो रूप में परिवर्धित करे ।कुदरत को जो हमने दिया है वही उसने हमें लौटाया है कुदरत से हमने पेड़ छीने कुदरत ने हमे ऑक्सिजन के लिए तरसाया है 
        जब ऑक्सिजन के लिए करोड़ो के प्लांट लगाए जा रहे है तब हमें शून्य बजट में ऑक्सिजन देने वाले नीम बरगद और पीपल याद आ रहे है ।ऑक्सिजन की ताजगी पहले विचारो में आती है बाद में दिलो दिमाग मे होकर फेंफड़ो तक चली जाती है ।
             रोगों की प्रतिरोधक क्षमता तन की ही नही मन की भी होती है । मन से रोगी व्यक्ति स्वतः ही तन की प्रतिरोधक क्षमता खो देता है कोरोना रोग के कहर ने हमे एक सबक सिखलाया है रहो एकांत और शान्त माहौल में रखो स्वस्थ काया है