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मन्त्र यंत्र तंत्र का प्रयोग अक्सर तांत्रिको द्वारा किये जाने वाले
कर्म काण्ड अनुष्ठानो के लिए किया जाता है
कर्म काण्ड अनुष्ठानो के लिए किया जाता है
परन्तु उक्त शब्दों का हमारे दैनिक जीवन किये जाने वाले
नित्य कार्यो उनकी भूमिकाओं से बहुत अधिक होता है
जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने सूत्र ही मन्त्र यंत्र और तंत्र है
उक्त सूक्त गणितीय सूत्र है जो जीवन की बड़ी से बड़ी कठिनाइयो पर
विजय प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है
हम जीवन में असफलता प्राप्त क्यों करते है
क्योकि बिना मंत्रणा बिना किसी योजना के हम कार्य प्रारंभ कर देते है
मन्त्र को प्रथम स्थान पर रखने का तात्पर्य यह है
की सर्वप्रथम किसी भी कार्य योजना को क्रियान्वित करने के पूर्व
उसके सभी पहलुओ पर अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिए
यंत्र का तात्पर्य यह है की सोचे गए कार्य की अपने मन में
रेखा चित्र खीच लेना चाहिए तदपश्चाद वांछित लक्ष्य की और
अग्रसर होने के लिए प्रयत्न प्रारम्भ कर लेना चाहिए
हमारे यत्न ठीक उसी प्रकार होने चाहिए
जिस प्रकार पूजा में रखे जाने वाले ताम्र यंत्र पर बने
रेखाचित्रअलग -अलग कार्यो के लिए अलग -व्यूह रचना दर्शाते है
क्योकि बिना व्यूह रचना बिना रण-नीती के
इच्छित कार्य शीघ्रता एवं पूरी कुशलता के साथ
सम्पन्न नहीं किया जा सकता है
तंत्र अर्थात किसी कार्य को मूर्त रूप देना
अर्थात धरातल पर कल्पना को साकार करना
मन्त्र यंत्र के पश्चात तंत्र की और अग्रसर होने का आशय भी यह है
मन्त्र यंत्र के पश्चात तंत्र की और अग्रसर होने का आशय भी यह है
कि सम्पूर्ण तैयारी के पश्चात ही किसी कार्य को मूर्त रूप देना चाहिए
अन्यथा योजनाये विफल होने कि संभावना रहती है
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