Saturday, June 29, 2013


बहुत वक्त बीत गया जिन्दगी जद्दोजहत मे तेरी अब तू ही बता मेरा कसूर क्या था, हर पल तेरा था फिर भी हिसाब माँगा तूने लगता हे तुझे विशवास न मेरा था खैर तेरा भी कसूर नही हे वक्त ही कुछ ऐसा था जब साया ही अपना ना हुआ तो तुझसे भी क्यो गिला करु?

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