Saturday, February 15, 2014

शासकीय कर्मचारी और आयकर

सरकार की आय का मुख्य स्त्रोत है आयकर 
आयकर का वह भाग जो सरकारी कर्मचारियो से जुड़ा है 
महत्वपूर्ण है 
क्योकि सरकारी कर्मचारियो की आय से कर वसूली हेतु 
सरकार कोई प्रयास नहीं करना पड़ते 
सारे प्रयास आयकर दाता कर्मचारीगण को ही करना पड़ते है 
कि वह अपनी आय को किस उपाय से आयकर से बचाये 
सभी संत महंत लोगो को अपनी आय का दशांश 
दान करने का उपदेश देने से नही भूलते
पर वे भूल जाते है 
कि एक शासकीय कर्मचारी आय की एक सीमा के बाद
 अपनी आय का १/५ से लगाकर एक तिहाई तक 
आयकर के रूप मे देश और समाज को धन दान कर देता है 
इसलिये ऐसे कर्मचारियो को दाता के रूप मे 
सम्बोधित किया जाता है
 चाहे आयकर दाता के रूप मे ही क्यों न हो ?
जब व्यक्ति किसी धर्म ,समुदाय संस्था विशेष को दान करता है 
तो उस धन का उपयोग सीमित होता है 
पर जब कोई व्यक्ति आयकर के रूप धन का दान शासन करता है 
तो उसका उपयोग किसी धर्म समुदाय संस्था विशेष के लिए 
न होकर सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज के लिए 
सम्पूर्ण प्रयोजनों के लिये होता है
वर्त्तमान मे जो आयकर हेतु जो मानक निर्धारित किये गये है 
उसमे बहुत से ऐसे कर्मचारी भी आ गये है
 जो चतुर्थ श्रेणी मे कहलाते है 
कितने गुना महंगाई बढ़ गई मुद्रा क़ा कितना ही अवमूल्यन हो 
आयकर कटौती के पुरातन प्रावधान यथावत जारी है 
समय -समय पर जो आंशिक राहत दी जाती 
वह दिखाई बहुत जाती है पर  नगण्य ही पाई जाती है

वेलेंटाइन डे या वसंत पंचमी

वेलेंटाइन डे हो या वसंत पंचमी 
दोनों का सम्बन्ध प्रणय और प्रेम से है 
 दोनों दिवसो के बीच क्या अंतर है 
वेलेंटाइन डे प्रेम युध्द क्षैत्र से
 पलायन के भाव से परिचित कराता है 
जबकि वसंत पंचमी प्रेम को प्रज्ञा के साथ 
कर्म  को धर्म से जोड़ता है 
पश्चिम का प्रेम जो वेलेंटाइन डे के विचार पर आधारित है 
प्रेम को वासना के धरातल तक ले जाता है
 जबकि ऋतुराज वसंत का सौंदर्य 
प्रकृति से परिणय का भाव लेकर 
प्रेमियो की आत्मा तक समा जाता है
आत्मा अजर है आत्मा का प्रेम अमर है
वसंत पंचमी पर भारतीय संस्कृति में
 विवाह करने अत्यधिक महत्व है
विवाह प्रेम पर आधारित हो 
 इसलिए वसंत पंचमी का पर्व बना है
प्रेम में सौंदर्य हो ,प्रणय हो 
पर  प्रेम में  भाव स्प्ष्ट हो
 जीवन में  नही किसी प्रकार का कष्ट हो 
इसलिए प्रज्ञा की देवी माँ सरस्वती की होती  आराधना है
भारतीय प्रेम अध्यात्म की ऊंचाई तक जाता है 
या भाव भरी गहराईयो तक गहराता है 
युध्द से  पलायन नही सीखाता है 
बल्कि देश और समाज के प्रति बलिदान की भावना को जगाता है 
इसलिए वेलेंटाईन डे से नही वसंत पंचमी से जुड़ो 
प्रेम के  लगाकर  के पंख 
 सभ्यता संस्कृति और अध्यात्म के नीले गगन मे उड़ो