संभावनाए कभी समाप्त नहीं होती l असुविधाओं और अभावों का रोना वो रोते है, जो अकर्मण्य होते है
चित्र दिखाई दे रहे वृक्ष ऐसे स्थान पर पल्लवित हो रहा है l जहाँ उर्वरा मृदा नही पत्थर और चुना रेत से बना मन्दिर का शिखर है l इस प्रकार वृक्ष ब़ड़ा होकर जीवित और हरि भरी अवस्था में देखना वृक्ष की जीजीविषा को बताता है
🙏🙏
ReplyDelete