पुरुष कौन ?
पुरुष वह है जो पुरुषार्थी हो जो पुरुषार्थ न करे भाग्य के भरोसे बैठा रहे
वह व्यक्ति हो सकता है किन्तु पुरुष नहीं
आध्यात्मिक पुरुषार्थ आजीविका सम्बंधित पुरुषार्थ
पुरुषार्थ के कई प्रकार होते कई रूप होते
किसी भी प्रकार की रचनात्मकता ज्ञानार्जन
शोध कृषि कार्य समाज सेवा पुरुषार्थ की परिधि में आते है
महिला कौन ?
महिला वह है जो मही अर्थात भूमि
के सामान क्षमा की मूर्ति हो
भूमि के सामान पोषण करे
जिसका सानिध्य पाते ही तन मन आल्हादित हो
जो निरंतर नए बीजो को अंकुरित कर
समाज और परिवार को उर्वरकता प्रदान करे
मिटटी के सामान ममत्व का भाव संजोये रखे
जो स्त्री मही अर्थात भूमि में व्याप्त गुणों की भाँती
न हो वह स्त्री हो सकती है पर किसी भी अर्थ में
महिला के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकती है