दीपक से तम घोर भगा, होता तम है शून्य
सृजन में उजियार रहा, प्रलय में तम घोर
सृष्टि कितनी शान्त रही , मत करना तू शोर
जगमग जगमग आज चली ,दीपो की बारात
दीपो से है रात खिली , कुदरत की सौगात
कोहरे से है धूप लदी, बहके है जज्बात
दीपो से है सेज सजी, अंधियारे में बात