पुरानी धारणा यह थी की सीधे लोगो का ज़माना नहीं है
परन्तु आधुनिक अवधारणा यह है
की सीधे लोगो का ही ज़माना है
सीधे लोग की अपेक्षा वे लोग अधिक नुकसान उठाते है
जो कपटी और धूर्त होते है
क्योकि कपटी और धूर्त लोगो के मित्र कम और शत्रु अधिक होते है
हितैषी कम और अहित की कामना करने वाले अधिक होते है
सीधे मार्ग पर चलने वाला पथिक विलम्ब से ही सही गंतव्य पर पहुँच जाता है जबकि सफलता के लिए संक्षिप्त मार्ग अपनाने वाला राही राह से भटक जाता है उसे डाकू लुटेरो का ख़तरा रहता है
सीधे व्यक्ति पर कोई भी सहज विश्वास कर सकता है
त्रुटी होने पर भी सद्भावना के कारण दया पात्र हो जाता है
इसके विपरीत चालाक व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता है
कोई भी महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौपे जाने पर
उसके कृत्यों पर निरंतर लोगो की निगाह रहती है
त्रुटी किये जाने पर उसके साथ
अपराधी जैसा बर्ताव किया जाता है
यह उपधारणा की जाती है
उसने गलती जान बूझ कर की होगी है
इसलिए सीधे बनो सच्चे बनो अच्छे बनो
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
ReplyDeleteवोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra