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Monday, August 14, 2023

गुरु पथ के हैं दीप

गुरु का आँगन लीप रहे ,गुरु के रहे समीप
 गुरु करुणा के पुंज रहे, गुरु पथ के है दीप

गुरु श्रोता बन सुन रहे , जीवन के हर कष्ट 
सुनते सुनते रोग मिटे ,कष्ट हो गए नष्ट

गुरु शिष्यों से बोल रहे , खोल रहे है भेद
खुलते रहते अर्थ नये, मुक्त हुआ भव कैद

यूँ तो पृथ्वी गोल रही , रहा भू मण्डल डोल
गुरु तत्व है खींच रहा, कहता शास्त्र खगोल

Sunday, March 26, 2023

वृक्ष की जीजीविषा


संभावनाए कभी  समाप्त  नहीं  होती l असुविधाओं  और  अभावों  का  रोना  वो  रोते  है,  जो  अकर्मण्य  होते  है  
चित्र  दिखाई  दे  रहे  वृक्ष  ऐसे  स्थान  पर  पल्लवित  हो  रहा  है  l जहाँ  उर्वरा  मृदा  नही  पत्थर  और  चुना  रेत  से  बना  मन्दिर  का  शिखर  है  l इस  प्रकार  वृक्ष  ब़ड़ा  होकर  जीवित  और  हरि  भरी  अवस्था  में  देखना  वृक्ष  की  जीजीविषा को  बताता  है 

Thursday, March 9, 2023

ज्ञान अनुभव और सफलता

समुचित  निर्णय  लेने  की  क्षमता  तभी  विकसित  होती  है जब  अनुभव  ज्ञान  का  उचित  सम्मिश्रण  हो l अनुभव  के  बिन  ज्ञान और  ज्ञान के  बिन  अनुभव  अधूरा  है l कुछ  न जानने  के  बाबजूद  कुछे लोग यह मानते  है कि  वे   बहुत ज्ञानी  है l बालों  की  सफ़ेदी  य़ह  तय  नहीं  कर  सकती  कि  कौन  कितना  अनुभवी  है l व्यक्ति  का  कार्य व्यवहार और  परिणाम  देने  की  क्षमता  ही  उस  व्यक्ति  के  अनुभव  को  दर्शाती  है l कोई  भी  कार्य तभी  प्रारम्भ  करना  चाहिये  जब  विशिष्ट  क्षैत्र  में  उस  व्यक्ति  को  अनुभव  हो  l 
   आत्म  विश्वास  उचित  अनुभव  और  ज्ञान  के  बिना  सम्भव  नहीं  है l व्यक्ति  का  आत्मविश्वास  उसकी  शारीरिक  भाषा  , मानसिक  स्थिति,  बोले  गये  शब्दो   आँखों से  परिलक्षित  होता  है l आत्मविश्वास  वह  आधार  है  जो  व्यक्ति  की  व्यवसायिक,   प्रशासकीय, राजनीतिक  बहुआयामी  सफ़लता  सुनिश्चित  करता है l  व्यक्ति में स्वाभाविक  आत्मविश्वास  होना  और  कृत्रिम  आत्म  विश्वास  ओढ़  लेना  दोनों  अलग अलग  बात  है  l क्रत्रिम आत्मविश्वास  के  सहारे  किसी  व्यक्ति  को  अधिक समय  तक  मूर्ख नहीं  बताया  जा सकता  है  l 
     व्यक्ति  जब  कृत्रिम  आत्मविश्वास  ओढ़  कर  सम्वाद  करता है  तो  तुरन्त  पकड़  में  आ  जाता  है l कृत्रिम  आत्मविश्वास  व्यक्ति  के  व्यक्तित्व  और  व्यवसाय  पर  प्रतिकूल  प्रभाव  डालता  है  l इसलिये  व्यक्ति  अपने  ज्ञान  अनुभव  और कार्य क्ष्मता  के  अनुरूप  उद्देश्य  का  निर्धारण  करे  l स्वयं  का  अत्यधिक  मूल्यांकन  कर  लेना  अत्यधिक  हानिकारक  है  l व्यक्ति  को  वस्तुस्थिति व्यवसाय  या  वृत्ति को  समझ  कर  लक्ष्य  सुनिश्चित  करना  चाहिये अन्यथा  असफ़ल  होने  संभावना  लगातार  बनी  रहती  है 
           व्यक्ति  बिना  अनुभव  और  ज्ञान  के  बिना  किसी  वैकल्पिक  योजना  बिना  किसी  से  विमर्श  किये  निर्णय  लेता  है  तो  होने  वाले  दुष्परिणामों  के  लिये  स्वयं  उत्तरदायी  है l ऐसा  व्यक्ति  स्वयं  की  गलतियों  के  लिये  किसी  अन्य  को  उत्तरदायी  ठहराने  का  प्रयास  अवश्य  करता है  ,परंतु  यह  प्रयास  उसके  भावी  जीवन  के  लिये  घातक  ही प्रतीत  होते  है l 
       सामान्य  रूप  व्यक्ति  में  यह  प्रवृत्ति  होती  है  कि  सफलता  का  श्रेय  लेना  चाहता  है  , असफ़ल  होने  पर  वह  दूसरे  व्यक्ति या  परिस्थितियों  को  दोष  देता  है l सफल  होने  वाले  व्यक्ति  या  सफ़ल  व्यक्तियों  में  यह  प्रवृत्ति  नहीं  होती l सफ़लता  की  और  अग्रसर  व्यक्ति सकारत्मक  प्रवृत्तियों से  परिपूर्ण  होते  है  l वे  विपदा  में  अवसर  ढूंढते  है  उनके  लिये  अभिशाप  भी  वरदान  बन  जाते  है l सकारात्मक  सोच  वाले  व्यक्ति  सफ़लता  का  श्रेय  खुद  नहीं  लेते  ,भगवान के  प्रसाद  की  तरह  बांटते  है  l कठोर परिश्रम से  पाई  सफलता  को  संजोते  है   



( यह  लेख उन  लोगों  के  लिये  है  जो  अनुकरण  करना  चाहते  है)

Thursday, March 2, 2023

किताब  किताब  किताब 
मात्र  अनुभवों  का  संग्रह नहीं 
अतीत  की  स्मृतियाँ  है  बेहिसाब 
किताब  किताब  किताब  
मात्र  इतिहास  के  अध्याय ही नहीं 
प्रतिकूल परिस्थितिया है  मौसम  खराब 
किताबों  में  कैद  में  है  कई  कथायें 
छन्दो से  सुरभित  होती कोमल  कविताए 
किताब हाथों  में  हो  तो  सारा  जग  है  हमारा 
संतृप्त  होती  महत्वकांक्षाये टूट  जाती है  कारा 
किताबे  उपदेशक  है  ज्ञान  और  विज्ञान  है 
किताबों  के  बिना  

Saturday, January 7, 2023

जिसे हम कलयुग कहते है

अगर  आप  गलत  का  विरोध  नहीं  कर  सकते  हो  तो  उसको  समर्थन  मत  करो l आपका  गलतियों  के  लिए  गलत व्यक्ति  को  किया  गया  समर्थन  ,गलत  का  विरोध  करने  वाले  व्यक्तियों  के  स्वर   को कमजोर  कर  देता है जिससे  उसे बड़ी  गलतियां  होने  लग जाती   है l परिणाम  संस्था  परिवार समाज को  भुगतना  पड़ता  है l 
       यदि  आप  गलत  का  विरोध  करने  का  साहस  नहीं  रखते  हों  तो  आप  मौन  रह  सकते  हो  l आपका  यह  मौन  गलत  का  विरोध  माना  जा सकता  है और  गलत व्यक्ति  को  बड़ी  गलतिया करने  से  हतोत्साहित  करेगा l
     जरूरी  नहीं  की  जिस  मत  का  अधिकतम  लोगों  द्वारा  समर्थन  किया  जाय  वह  सही  हो  l लोग  अपने  तुच्छ  स्वार्थों  की  पूर्ति  तथा  भीरु  प्रवृत्ति  के  रहते  गलत किन्तु प्रभावशाली  व्यक्ति  का  समर्थन  करने  लगते  है , इस  प्रकार  से  समाज मे  गलत  व्यक्तियों  और  गलतियों  को  प्रोत्साहन  मिलने  लगता  है  , बहुत  से  लोगों  की  तरह  तरह  की  गलतियों  को  मिलाकर  एक  नकरात्मक  वातावरण  निर्मित  होने  लगता  है  l जिसे  हम  कलयुग  कहते  है 

Saturday, December 10, 2022

देवों के व्यक्तित्व में समाहित सन्देश

गणेश  जी  का  व्यक्तित्व  जहा  हमे  स्थिरता  का  सन्देश  देता  है  वहीं  कार्तिकेय  का  व्यक्तित्व  निरन्तर  सक्रियता  और  भ्रमण  शीलता  की  प्रेरणा  प्रदान  करता  है l गणेश  जी  हमे  बताते  है  कि  स्थिर  रहो  तो  इस  तरह  से  कि  आप सम्पूर्ण  व्यवस्था  के  केंद्र  बन  जाओ  l आप  के  बिना  कोई  व्यवस्था  गति  न  ले  पाये  l कार्तिकेय  बताते  कि  सक्रिय  रहो  तो  इस  तरह  से  रहो  कि  यह  पृथ्वी  ही  नहीं  सम्पूर्ण  ब्रह्माण्ड  आपके  पुरुषार्थ को  नमन  करे l दोनों  ही  भ्राता  शिव  और  शक्ति  के  अंश  है  शिव  जहा  लोक  कल्याण  के  देवता  है  वहीं  शक्ति  दुष्टता  का  दमन  करने  वाली  देवी  है l इसलिए  कार्तिकेय  जी  निरंतर  सक्रियता  दुष्टता  का  दमन  और  उसके  मद  का  हरण करती  है  , वहीं  गणेश  जी  की  स्थिरता  शांति  स्थापित  कर व्यक्ति  परिवार  समाज और  राष्ट्र  तथा  विश्व को  समृध्दि और अन्वेषण  की  ओर  ले  जाती  है 
                         व्यवहारिक  जगत  मे  बहुत  से  ऐसे  लोगों  को  जानते  है न तो स्थिर  होकर  कोई  भी  कार्य नहीं  कर  पाते  है  और  न  हो  सक्रिय रह  पाते  है  l ऐसे  व्यक्तियों  का  परिवार  समाज  मे  कोई  मूल्य  नहीं  होता l वही  समाज  मे  ऐसे  लोगों  को  भी  देखते  है  l स्थिर  और  दत्त  चित्त  होकर  प्रत्येक  कार्य करते  है  वे  व्यवस्था  के  केंद्र  होते  है l स्थिरता  और  जड़ता  मे  भेद  होता  है  l अस्थिरता  का  तात्पर्य  सक्रिय  नहीं  अपितु  अव्यवस्थित  दिशाहीनता  होती  है  इसलिये  दोनों  देव  य़ह  बताते  है  कि  जड़ता नहीं  स्थिरता   प्राप्त  करो l अस्थिरता  नहीं  सक्रियता  प्राप्त करो l

Monday, October 24, 2022

सूर्य ग्रहण


कर्मशील और  श्रमजीवी  व्यक्तियों  कोई  भी  ग्रहण  प्रभावित  नहीं  कर  सकता  है  l सतत  कर्म  में  रत व्यक्ति  को  कहा फ़ुरसत  मिल  पाती  है  कि  वह  सिर उठा  कर  सूर्य  चंद्रमा  आसमान  और  तारों  को  निहारे l यह  कार्य  उन  लोगों  का  है  जिनके  जीवन  मे  कोई  काम  नहीं  है  , मात्र  दूसरे  लोगों  की  निंदा  स्तुति  करते  रहना  उनका  कार्य  है  l देखने  वालों  को  तो  जमीन  पर  ही  सौंदर्य दिखाई  देता  है उसे  आसमान  देखने  की  आवश्यकता  नहीं  होती है l
    अकर्मण्य  और  आलसी  लोगों  को  चाहे  चंद्र  ग्रहण  हो  या सूर्य   ग्रहण  हो  या  कोई  भी  ग्रहण  न भी  हो  तो  भी  वह  दुष्प्रभावित होता  रहता  है  l उसे  सभी  प्रकार  के  ग्रह  चाहे  मंगल  हो  बुध हो  शनि  हो  या  शुक्र  हो  दुष्प्रभावित करते  रहते  है l