Total Pageviews

Thursday, December 17, 2015

धर्म का मर्म

धर्म मात्र पूजा पध्दति नहीं है
 धर्म आचरण का विषय है 
जो लोग धर्म को मात्र पूजा पध्दति ही मानते है
वे धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देते है 
जब हम महापुरुषों का अनुशरण करने में 
असमर्थ पाते है 
तब हम महापुरुषों को देवता बना देते है 
उन्हें पूजने लग जाते है पूजते हुए 
हम महापुरुषों के द्वारा रचित विचारो 
बताये मार्ग को भूल जाते है 
सच्चा धार्मिक व्यक्ति महापुरुषों के
 विचारो और चरित्र अपनाता है
धर्म को पाखण्ड बना कर 
समाज को खंड खंड करने से 
हम धर्म  के मर्म को ही चोट पहुचाते है