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Tuesday, April 20, 2021

कन्या भोज की प्रासंगिकता

             आज रामनवमी पर्व होकर चैत्र नवरात्रि का का अंतिम दिवस है । सामान्य रूप से आज के दिन लोग यज्ञ करके कन्या भोज आयोजित करते है । किंतु विगत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण कन्या भोज का कार्यक्रम नही करवा पा रहे है । कन्या भोजन की परंपरा सनातन  में उस समय से चली आ रही है जब भारतीय समाज मे कन्याओ का परिवार और समाज मे विशेष स्थान होता था । 
                विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या?आज हमारे परिवार और समाज मे हम कन्याओ को विशेष स्थान और स्नेह संरक्षण दे पा रहे है । इसका जबाब यह होगा कि ऐसा नही हो रहा है तो फिर कन्या भोज के नाम पर इस धार्मिक ढकोसले की आवश्यकता  क्या है ?जाने अनजाने कन्याओ के माता पिता भी अपनी बेटियों का शोषण करते रहते है । कितनी ही कन्याये समुचित पोषण के अभाव में तरह तरह की शारीरिक कमजोरियों से ग्रस्त रहती है । परीक्षा परिणामो में इसके बावजूद लड़कियों का प्रदर्शन लड़को की अपेक्षा अधिक उत्साहवर्धक रहता है । 
          कई माता पिता इस बात को लेकर अत्यधिक संतुष्ट रहते है कि उनकी लडकिया अच्छी शिक्षा प्राप्त कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रशासनिक एवम बैंकिग और शैक्षिणक जगत में उच्च पदों पर पदस्थ है । वैसी ही संतुष्टि अपने लड़को के बारे में प्रगट नही कर पाते है । कभी कभी तो माता पिता अपने लड़को के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण उनके बारे में वास्तविक तथ्यों को प्रगट करने में भी संकोच करते है ।
         इस दौर में परिवेश में ऐसे परिवार भी देखने को मिलते है । जो पूरी तरह अपनी लड़कियों की आजीविका पर ही निर्भर है । यह एक अत्यंत  अपमान जनक परिस्थिति होती है फिर अपनी लड़कियों पर आश्रित माता पिता और परिवार यह कहते हुए मिल जायेंगे कि उन्हें अपनी लड़की पर गर्व है इस प्रकार वे अप्रत्यक्ष रूप से अपनी लोलुप प्रवृत्ति को छुपा  लेते है । वर्तमान में यह पतन का दौर भी शुरू हो गया है कुछ लड़कियों के माता पिता विवाह कराने के उपरान्त उनकी लड़की  और उसके पति के बीच विवाद के बीज बोकर अपनी आर्थिक हितों की पूर्ति में लगे हुये है । इतनी नकारात्मक परिस्थितियों में भला देवी नव दुर्गा कन्या भोजन के माध्यम से आपकी पूजा कैसे ग्रहण कर सकेगी ।
           जब तक हमारी कथनी और करनी में अंतर समाप्त नही हो जाता।तब तक हमारी धार्मिक उपासना व्रत पूजा सब व्यर्थ है । व्यर्थ है वे सारे अनुष्ठान जो हमारे द्वारा देवी को प्रसन्न करने के लिए  किये जाते है । हम चाहे अपने कुकर्मो और गलत मंतव्यों पर कितने ही पर्दे डाल दे वह देवी सत्ता से छुप नही सकते । हमे वास्तविक अर्थो में देवियो के प्रतिरूप कन्याओ का संरक्षण पोषण और उन्नयन कर अपनी सच्ची श्रध्दा दिखलानी होगी । तभी देवी हमारे नवरात्रि के कन्याभोज को ग्रहण करेगी ।