Total Pageviews

Thursday, November 26, 2020

तू किसके है पास


कितने सारे धर्म रहे , कितने सारे पंथ
मन मे न संतोष रहा , तृष्णा का न अंत

गुरु जी आंसू पोंछ रहे, सोच रहे है हल
गुरु जी चिंता मुक्त करे, गुरु मुक्ति के फल

तुझसे तेरे दूर हुए, तू किसके है पास
 तू जिसके है पास रहा, उस पर कर विश्वास

भक्तो ने न जाप किया , किया नही है श्रम
सुविधा से सज्जित हुए , ऐसे भी आश्रम

तुझसे तेरा रुठ गया, उठ गया विश्वास
मैली होती रही चदरिया , मैला है आकाश 



Sunday, November 22, 2020

अपघर्षण कुण्ड-यक्ष युधिष्ठर सम्वाद स्थल


इस स्थान पर महाभारत काल मे युधिष्ठर का यक्ष से संवाद हुआ था । तत्समय की कथा यह है कि वनवास के समय पांडवो को प्यास लगी तो पांडवो के सबसे अनुज भ्राता सहदेव ने कहा कि वे पानी घड़े भर कर निकट के सरोवर से लाते है । सहदेव इस स्थल पर स्थित कुंड पर पानी लेने गए तो वापस नही लौटे । ज्येष्ठता के क्रम में एक एक कर पांडव भ्राता पानी लेने गए पर कोई नही लौटा । अंत मे युधिष्ठर अपने भाईयों को ढूंढने के लिए तो उनका साक्षात्कार इस स्थल पर यक्ष से हुआ । इसी कुंड के पास भीम अर्जुन नकुल सहदेव अचेत अवस्था मे पड़े हुए थे। यक्ष के द्वारा युधिष्ठर के समक्ष जो प्रश्न रखे गए , उनके  सही उत्तर जैसे जैसे युधिष्ठर देते गये वैसे वैसे सभी पांडव भ्राता जीवित होते गए । यक्ष उस समय इस कुण्ड की सुरक्षा में रत रहता था। यह स्थान सतना जिले में धार कुण्डी के समीप ऊंचे पहाड़ों के बीच घने वन के बीच स्थित है

Thursday, November 19, 2020

यादे है बुनियाद

सपनो में है याद मिली, यादे है बुनियाद
यादे हमको मोड़ मिली ,यादो से की बात

यादो में इकरार मिला, यादो में इनकार
यादो में से ताक रहा, अनुभवी का संसार

इक अम्मा की याद रही , इक दादा की याद
यादो में है डाँट मिली , यादो में दी दाद

यादो में धूप छाँव मिली, यादो के झुरमुट
यादो की बारात चली, होकर के सूट बूट



Saturday, November 14, 2020

दीपो की बारात

अन्धियारे में  पाप रहा , होता उजला पुण्य
दीपक से तम घोर भगा, होता तम है शून्य

सृजन में उजियार रहा, प्रलय में तम घोर
सृष्टि कितनी शान्त रही , मत करना तू शोर

जगमग जगमग आज चली ,दीपो की बारात
दीपो से है रात खिली , कुदरत की सौगात

कोहरे से है धूप लदी, बहके है जज्बात
दीपो से है सेज सजी, अंधियारे में बात

Thursday, November 12, 2020

वैसा ही सम्भव

सपनो में तव सोच रहा , सपनो रहे कचोट
तू सपनो में लिप्त रहा, हुई चोट पर चोट

जैसा जिसका भाव , ठीक वैसा ही भव
वैसे ही सब लोग मिले , वैसा ही सम्भव

विद्या से विनम्र हुआ , प्रज्ञा से  है धन्य
भीतर से है भींग गया ,प्राणों से चैतन्य

भावो में ही बसा रहा, होता वह भगवान
हुआ भाव से शुन्य यहाँ, वो कैसा इन्सान


Wednesday, November 4, 2020

रिश्तो की है नाव

रिश्ते पावन प्रीत भरे, रिश्ते है गुलकंद
रिश्ते दुख और दर्द हरे, रिश्ते सुरभित गंध

कुछ रिश्तो से नेह मिला , कुछ रिश्तो से दंश
रिश्तो में कौन्तेय मिले, कुछ रिश्तो में कंस

रिश्तो में सौंदर्य रहा ,रिश्तो की है छाँव
डग मग करती नही डूबी , रिश्तो की है नाव

जितने भी थे रूठ गये , जो थे रिश्तेदार
रिश्तो की पड़ताल करे, रिश्तो के हकदार

रिश्तो से है प्यार मिला , पाया लाड़ दुलार 
ऐसे रिश्ते कहा गये, उनको रहे पुकार