Total Pageviews

Sunday, November 6, 2016

राक्षस भगवान् विष्णु की तपस्या क्यों नहीं करते थे?

प्राचीन काल में राक्षस ब्रह्म देव और महादेव शिव की तपस्या कर शक्ति और अमरता का वरदान प्राप्त कर लेते थे \शक्तियों का दुरूपयोग कर संसार में अत्याचार कर आतंक फैलाते है ऐसे दैत्यों का दमन करने के लिए भगवान् विष्णु अवतार धारण करते थे |विचारणीय प्रश्न यह है कि आखिर दैत्य राक्षस भगवान् विष्णु की तपस्या कर वरदान क्यों प्राप्त नहीं करते थे ।इस संबंध में यह कहना उचित होगा कि भगवान विष्णु सृष्टि के पालन कर्ता है | किसी भी व्यक्ति या कृति निर्माण या ध्वंस करना आसान होता है| उसका सरंक्षण संपोषण संवर्धन कठिन होता है ,इसलिए वे अपने दायित्व अनुरूप सृष्टि की संरक्षण संपोषण करने वाली सज्जन शक्तियों के रक्षण हेतु प्रतिबध्द थे वे व्यक्ति की तपस्या को नहीं उनके आशय को देखते है, सदभावना पूर्ण आशय और लोक कल्याण के उद्देश्य रखने वाले भक्त ह्रदय वाले साधक की अल्प साधना ही उन्हें प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है |जबकि महादेव शिव समदर्शी है उन्हें साधक के आशय की अपेक्षा साधक की तपस्या की तीव्रता प्रभावित कर सकती शिव जी स्वभाव से भोले भी है उनकी उदारता की कृपा दुष्ट सज्जन सभी व्यक्तियों पर सामान रूप से बरसती है \ब्रह्मदेव सृष्टि के निर्माता है इसलिए एक बार वे वरदान देने के बाद यह नहीं देखते है \उसका परिणाम क्या होगा इसलिए दैत्य प्राचीन काल में भगवान् विष्णु की साधना न कर महादेव शिव और ब्रह्मदेव की तपस्या कर शक्तियां और अमरता प्राप्त कर लेते थे