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Monday, March 10, 2014

रणछोड़ राय भगवान् श्रीकृष्ण

भगवान् श्रीकृष्ण को रणछोड़ राय के रूप में 
सम्बोधित किया जाता है 
भगवान् ने रण क्यों छोड़ा ?रण छोड़ राय क्यों बने ?
इन प्रश्नो के समाधान इतने सरल नहीं है
जीवन के यथार्थ में कब रणछोड़ बने ?
कब रण वीर बने ?
 यह महत्वपूर्ण होता है 
महत्वपूर्ण यह भी है कि विपक्षी के बल कि परख किये बिना 
हम रण में कूद जाए 
इसे वीरता नहीं मूर्खता कहा जाएगा 
भगवान् कृष्ण जानते थे कि 
जरा संघ कि विशाल सेना मथुरा को ध्वस्त कर देगी 
हजारो निरीह नागरिक मारे जायेगे 
इसलिए उन्होंने रण  को उन्होंने छोड़ दिया था 
उपयुक्त समय आने पर द्वंद्व युध्द में 
उन्होंने उसी पराक्रमी अजेय जरासंघ का वध 
 भीम के हाथो करवा दिया
कितनी लम्बी प्रतीक्षा पराक्रमी शत्रु को 
पराजित करने के लिए 
यह विचारणीय प्रश्न होनी चाहिए 
जीवन में समग्र विजय पाने के लिए शक्ति संचय के साथ 
सज्ज्न शक्ति के उदय कि आवश्यकता होती है 
जिसमे समय लगना स्वाभाविक होता है 
रण छोड़ बनने से लेकर जरासंघ के वध तक कि कथा 
भगवान् कृष्ण कि भूमिका इसी तथ्य को इंगित करती है 
इसलिए भगवान् श्रीकृष्ण रणछोड़ होने के बावजूद 
पराजय के प्रतीक के स्थान पर विजय के पर्याय रहे

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