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Thursday, July 5, 2018

शिवत्व भाव

शिव पूजा से अधिक शिवत्व भाव का है 
शिवत्व में शिव तत्व विद्यमान है
 शिव साकार स्वरूप है 
तो शिवत्व निराकार भाव है
 शिवत्व को जिसने धारण किया 
उसने शिव स्वरूप को आत्मा में समाहित कर लिया है 
शिव पूजा आसान है 
शिवत्व धारण करना कठिन है 
शिव कल्याण कारी है 
तो शिवत्व स्वयं में कल्याणकारक क्षमता जाग्रत करना है 
शिव का तात्पर्य निष्पक्षता 
शिवत्व स्वयं में निष्पक्षता का भाव उत्पन्न कर लेना है 
जिसकी निष्पक्षता संदिगध हो जाए 
उसके किसी को भी न्याय की आस नहीं रहती 
इसलिए न्याय कार्य शिवत्व धारण करके ही किया जा सकता है 
शिवत्व का अर्थ प्रकृति के समीप हो जाना है 
कृत्रिमता के आवरण से दूर स्वाभाविकता में जी लेना ही शिवत्व है 
साधनो के अधीन नहीं साध्य के अधीन हो जाना शिवत्व है 
विपरीत प्रकृति के जीवो के मध्य रहकर भी 
ध्येय के प्रति एकाग्रता का भाव शिवत्व कहलाता है