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Wednesday, August 15, 2018

भगवान् शिव के गले में नाग क्यों?

भगवान शिव के गले में नाग क्यों रहते है
भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम क्यों करते है
इसके पीछे क्या दर्शन है
 सनातन धर्म में प्रतीक और चित्रो के माध्यम से 
जीवन के गूढ़ रहस्य समझाये गए है
परन्तु इन तथ्यों तरफ किसी ने ध्यान ही दिया
 और उन्हें पूज्य बना दिया । 
भगवान विष्णु  और शिव जी ध्यानस्थ 
अथवा योग निद्रा में रहते है 
तब शिव के गले में नाग 
और विष्णु के शैया में शेषनाग होते है
 अर्थात ध्यान करने से मन के भीतर 
कुविचार रूपी नाग होते है 
वे बाहर निकल जाते है 
तो तन मन 
 कुविचार रूपी जहर से मुक्त हो जाता है
 ऐसे निर्मल चित्त से व्यक्ति जीवन में 
कुछ निर्माण कर पाता है 
अन्यथा दुनिया में दुसरो के अनिष्ट की 
इच्छा पालने वाले लोग
 स्वयं के तन मन को इतना विषाक्त बना लेते है 
कि वे अपना स्वास्थ्य को नुक्सान पहुचाते रहते है 

Sunday, August 5, 2018

मित्रता दिवस

मित्र वह जो रक्त के सम्बन्ध से परे हो

मित्र वह है जिसकी आँखों में आंसू

 मित्र के लिए भरे हो

मित्र वह जो कड़वा बोले पर साथ हो

श्री कृष्ण सुदामा हो अर्जुन पार्थ हो

मित्रता एक पर्व नहीं पूरा युग है

जीवन की संवेदना है प्रीती की भूख है

मित्रता मित्र की भीतर की वेदना जानती है

शब्दों से परे अनुभूतियों को पहचानती है

मित्र वासुदेव का रहा नन्द है

मित्रता कुदरत से दोस्ती का छंद है

मित्र भोले शंकर महादेव है

मित्रता पारदर्शी होती सदैव है

मित्र भाव धारण किया तो धर्म है

मित्रता सक्रियता रहे तो कर्म है

मित्रता में न होता कोई हिसाब है

मित्र होती सृजना सच्ची किताब है

मित्र पवित्र होता बंधन है

मित्र माथे का होता चन्दन है

मित्रता एक प्यास है तो मित्र तृप्ति है

जैसे वेद ऋचाएं उपनिषद की सूक्ति है

मित्रता एक जागरण है आव्हान है

कान्हा की राधा है कृष्ण का गुणगान है

मित्रता एक रस है तो मित्र प्रियतम है

मीरा की भक्ति है ह्रदय की चितवन है

मित्रता दया है कारुण्य है

मित्रता की छाया है तो स्वर्ग भी अरण्य है

मित्र मरूथल में मिल जाए तो जल है

मित्रता विहीन जीवन रहा दल दल है

मित्रता की जाती है न वर्ण है

मित्रता के लिए जान भी दे देता कर्ण है

मित्र ने ही मित्र का घाव भरा है

मित्रता से पर्यावरण है हरी धरा है 

मित्रता पर्वत है नदिया की धारा है 

सागर में मिलकर नदिया ने भी दिल हारा है 

मित्रता दशरथ है जटायु है 

मित्रता से बल पर भी बढ़ जाती आयु है 

मित्रता निभायी तो राम है सुग्रीव है 

मित्रता इंसानियत की रही नीव है 

मित्र जीवन के सही पथ  है 

वनवास में मिला मित्र तो चित्र रथ है