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Tuesday, June 24, 2014

मै एक पेड़ हूँ

 मै एक पेड़ हूँ
मुझे पौधे से पेड़ बनने में कई साल लगे
पूरी पीढ़ी मेरे देखते -देखते गुजर गई
बीज से पौधा और पौधे से पेड़ बनने का सफर बहुत लंबा था
जब मै पेड़ बना था पंछीया का बसेरा बना
आते -जाते राही को मेरी छाँव में आश्वस्ति मिलती थी
जब कभी मेरी टहनियों की लकडिया गिरती थी लोग सर्दी में अलाव जला लेते थे
प्रवासी और निर्धन मेरी लकडियो से भोजन पका लेते थे
मेरी पत्तियों की हरियाली वातावरण में प्राण फूक देती थी
सुबह शाम पंछियो की चहचहाट को मैंने सूना है
मैंने सुनी उनकी कई अंतरंग बाते
मैंने बारिश की धार सहा है पर पथिक को बचाया है
मैंने गर्मी की तेज धूप में तप कर राहो को चौराहो को सजाया है
नहीं चाहा की मेरी जड़ो को लोग रोज पानी पिलाये
फिर लोग ने छोटे छोटे बच्चे को मेरे झूलो पर झुलाये