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Friday, July 10, 2020

वैधानिक गल्प - उपन्यास समीक्षा

राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उपन्यास वैधानिक गल्प लेखक चंदन पांडेय द्वारा अभिलिखित है ।वैधानिक उपन्यास अर्जुन नामक ऐसे व्यक्ति से आरम्भ होती है जो लेखक और कथाकार के साथ प्रकाशन समूह का संपादक भी है ।  अर्जुन जिसकी पत्नी अर्चना है को तब झटका लगता है जबकि एक दिनअर्जुन  उसकी पूर्व प्रेमिका अनसूया का  नोमा नामक कस्बे से फोन आता है । अनसूया अर्जुन को बताती है कि  उसका पति रफीक कही गायब हो गया है ।।      
                    रफीक रंग कर्मी के साथ कॉलेज में संविदा प्राध्यापक भी रहा है। अर्जुन अनसूया की मदद के लिए पहुँचता है ।  अर्जुन अनसूया को थाने में पुलिस द्वारा अपमान जनक तरीके से पूछताछ करते हुये पाता है । थाने के आतंक पूर्ण वातावरण को महसूस करता है । अनसूया से गर्भ से है को अर्जुन थाने से उसके घर ले जाने के बाद कुछ दिनों के लिए अर्जुन नोमा ही रुक जाता है । प्रकाशन समूह के मालिक की मदद से अर्जुन को थाने का प्रभारी शलभ का सहयोग प्राप्त होता है ।परंतु स्थानीय राजनीति के चलते रफीक का नाम लव जेहाद में जुड़ जाता है क्योंकि रफीक के गायब होने के साथ उसकी छात्रा जानकी के गायब होने की जानकारी भी उसे प्राप्त होती है 
          रफीक की तलाश किये जाने के सिलसिले में अर्जुन को रफीक की डायरी प्राप्त होती है जिसके गीले और फटे हुये  पन्नो पर लिखी इबारत को पढ़ने का प्रयास करता है ।जिसके माध्यम से अर्जुन गायब होने के पूर्व रफीक की क्या मानसिकता थी । इसे समझने चाहता है ।इसी दौरान अर्जुन को निलम्बित पुलिस उपनिरीक्षक अमन दीप मिलता है जिसके ऊपर आर्थिक गबन का आरोप है ।परंतु गहराई से जांचने पर ज्ञात होता है ।अमन दीप को निलंबित किये जाने की वजह कुछ और है। जिसमे अमन दीप ने एक व्यक्ति को प्रायोजित भीड़ द्वारा की गई हिंसा से बचाये जाने के कारण स्थानीय राजनेता की नाराजगी है  उपन्यास के अंत तक गायब हुए रफीक और जानकी का पता नही चलता। 
          उपन्यास के माध्यम से लेखक ने यह तथ्य कहने का प्रयास किया है कि प्रत्येक मामले को लव जेहाद का रंग देने की आवश्यकता नही है ।कितने संविदा अध्यापकों और प्राध्यापको को लंबे समय से नियमित न किया जाकर उनका शोषण किया जा रहा है । उपन्यास के माध्यम से लेखक ने पुलिस की कार्य प्रणाली और पुलिस स्थानीय राजनेताओ के साथ साठ गांठ को रेखांकित किया है । लेखक ने यह प्रश्न भी उठाया है ।पुलिस में संवेदनशीलता का अभाव है वह एक प्रसूता के साथ पेशेवर अपराधी की तरह व्यवहार करती है ।