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Monday, January 7, 2013

मनुष्य की श्रेणिया


मनुष्य की प्रमुख रूप से तीन श्रेणिया होती है
प्रथम श्रेणी में मनुष्य अकारण निस्वार्थ रूप से
दूसरो का हित करने की प्रव्रत्ति रखता है
सदा पर हित करने की और अग्रसर रहता है
पर पीड़ा में अपनी पीड़ा समझता है संवेदना से परिपूर्ण
ऐसा मनुष्य देवत्व के सबसे अधिक समीप होता है
दूसरी श्रेणी का मनुष्य वह होता है 
जो सकारण और स्वार्थ वश
दुसरे के हित की और अग्रसर होता है
आदान प्रदान की भावना से व्यवहार करता है
ऐसा व्यक्ति सामान्य मनुष्य कहलाता है
तीसरी और अधम श्रेणी का मनुष्य वह होता है
जो अकारण अन्य लोगो से द्वेष रखता है
अकारण दूसरो के हितो पर आघात करता है
अच्छे कार्य में समस्याए और बाधाये उत्पन्न करता है
दुसरे व्यक्तियों को सुख में देख कर दुखी होता है
हमें चिंतन यह करना है कि
हम उक्त श्रेणियों में से कौनसे मनुष्य
कि श्रेणी में स्वयं को पाते है
यदि हम स्वयं को प्रथम श्रेणी में पाते है तो
हमें पूजा पाठ कर्म काण्ड करने कि कोई आवश्यकता नहीं है
हमारा प्रत्येक कर्म ही पूजा है
हमारी अंतरात्मा में ही देवत्व विद्यमान है
हम ईश्वर के सबसे प्रिय है
ईश्वरीय तत्व हमें सहज ही प्राप्त हो सकता है