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Saturday, February 27, 2016

अकर्मण्यता का निवारण एवम उपाय

 
व्यक्ति के व्यक्तित्व को परखने की 
कसौटी यह है कि
 वह पुरुषार्थी है या अकर्मण्य  । 
पुरुषार्थी व्यक्ति उद्यमशील होता है 
उद्यमशीलता व्यक्ति का वह गुण है
 जो उसे कर्मरत होने की प्रेरणा देती रहती है
 सच्चा पुरुषार्थी व्यक्ति वह है 
जो शून्यवत रिक्तता को भर दे 
जहा असुविधाओं को सुविधाओ में बदल दे
 अभावो अल्प साधनो में कार्य कर 
परिणाम सामने ले आये 
कहने का तात्पर्य यह है 
मरुथल की धरा को हरा कर दे 
अपनी दीनता हीनता को प्रगट न करे । 
स्वाभिमान की भावना रखे ।
ऐसे पराक्रमी पुरुषार्थी व्यक्तित्व की 
 सकारात्मक ऊर्जा को पाकर 
मानवता धन्य हो जाती है
 इसके विपरीत अकर्मण्य व्यक्ति 
मात्र पूर्व की जुटायी व्यवस्था के 
उपयोग में विश्वास करते है 
व्यवस्थाये सुविधाये मिल जाने पर
 उनमे दोष निकालते है 
अकर्मण्यता यही समाप्त नहीं होती 
वे निज सुख के लिए दूसरे व्यक्तियो की 
सुविधाओ को को भी छीन कर 
उनका उपयोग उपभोग करते है 
दुनिया में पुरुषार्थी व्यक्तियो की अपेक्षा 
 अकर्मण्य व्यक्तियो का अनुपात 
कही ज्यादा है । 
अकर्मण्य व्यक्ति अकारण 
थकान का अनुभव करता है 
वह कितना भी विश्राम कर ले 
उसकी थकान दूर नहीं होती ।
 अकर्मण्यता निवारण का उपाय क्या है?
 अकर्मण्यता नियमित दिनचर्या 
और उचित व्यायाम से दूर की जा सकती है।
अकर्मण्यता योग ध्यान उपासना अपनाने से 
दूर की जा सकती है ।
अकर्मण्यता ऊर्जा से भरपूर व्यक्तियो का 
सानिध्य पाकर दूर की जा सकती है । 
यदि सूर्य नमस्कार को 
किसी धर्म से न जोड़ा जाए 
तो नियमित सूर्य नमस्कार करने से
अकर्मण्यता दूर की जा सकती है