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Wednesday, May 29, 2013

सुरक्षा बल और सुरक्षा चक्र

वर्तमान में सुरक्षा बलों की भूमिका और उनकी सामर्थ्य को लेकर
 तरह तरह के प्रश्न उठ रहे है 
सुरक्षा बलो की सामर्थ्य उनकी भूमिका कैसी होनी चाहिए
 इस विषय  पर रामायण के पात्र 
हनुमान .लक्ष्मन और महाभारत के पात्र अर्जुन की भूमिकाये
 और उनके सामर्थ्य तथा चैतन्यता पर  
दृष्टी पात किया जाना आवश्यक है 
तीनो पात्र के चेतना का स्तर अद्भुत है 
सुरक्षा बलों को चैतन्य अवस्था में सदा रहना आवश्यक है 
उल्लेखनीय है रामायण के पात्र लक्ष्मन और महाभारत के पात्र अर्जुन
 के बारे में यह कहा जाता है की
 उन्होंने निद्रा पर विजय प्राप्त कर ली थी
 इसलिए अर्जुन को गुडाकेश के नाम से संबोधित किया गया है
 लक्ष्मन ने इसी प्रकार पुरे वनवास के दौरान निद्रा का त्याग कर दिया था परिणाम स्वरूप अपने ज्येष्ठ भ्राता की रक्षा का दायित्व  समुचित रूप से निभा पाए 
सीता जी के हरण के समय भी उन्होंने जो लक्ष्मन रेखा खिंची थी 
वह आज भी उदाहण के रूप में उल्लेखित की जाती है 
लक्ष्मन रेखा का आशय अभेध्य सुरक्षा चक्र
 जिसे विश्व विजयी रावण भी भेद नहीं पाया था 
हमारी सुरक्षा व्यवस्था लक्ष्मन रेखा की तरह होनी चाहिए 
पवन पुत्र हनुमान अर्जुन और लक्ष्मन से सुरक्षा बलो को
 निरंतर  सक्रियता का सूत्र भी ग्रहण करना चाहिए
 रामायण में दोहे में उल्लेख आया है
 की" राम काज किन्हें बिनु मोही कहा विश्राम "
यह बात हनुमान जी ने श्रीराम के कार्यो अर्थात श्रेष्ठ और लोक कल्याण कारी कार्यो के लिए कही है
 अर्जुन लक्ष्मन और हनुमान जी तीनो ने लोककल्याण तथा सत्य की रक्षा हेतु निरंतर सक्रियता  दिखाई है
 सुरक्षा बलो के लिए 
यह भी आवश्यक  है वे  सभी प्रकार की सुचनाये अपने पास रखे शत्रु दल के सामर्थ्य के प्रति किसी प्रकार की 
भ्रान्ति न पाले स्वयं में निरंतर निपुणता विकसित करे ये गुण भी इन तीनो योध्दाओ में विद्यमान थे 
अर्जुन ने सारा जीवन भिन्न आयुधो को प्राप्त करने में और उनका प्रशिक्षण प्राप्त करने ही व्यतीत किया