जैसे ईश्वर से साक्षात्कार
सद्गुरु ही करा सकता है
वैसे ही सद्गुरु का साक्षात्कार
सत्पुरुष ही करा सकता है
सत्पुरुष के लक्षण क्या है?
सब जानते है परंतु व्यक्ति के बाह्य रूप से
सत्पुरुष की पहचान नहीं की जा सकती है
सत्पुरुष की पहचान क्या है?
जैसे लोह धातु का चुम्बक अपने सामान
गुणों से युक्त चुम्बक को आकर्षित कर लेता है
उसी प्रकार सत्पुरुष व्यक्ति को आकृष्ट
सत्पुरुष ही कर सकता है
सत पुरुष में सतगुण की वे तरंगे होती है
जिससे सतगुण से युक्त व्यक्ति
स्वतः खींचे चले आते है
यदि किसी व्यक्ति के बाह्य रूप से
सज्जनता परिलक्षित होती हो
परन्तु वह दुर्गुणों और व्यसनों से युक्त
व्यक्तियों से घिरा हो
उसको उन्ही लोगो में अच्छा लगता हो तो
यकीन मानिए वह व्यक्ति सत्पुरुष नहीं है
मात्र उसने सज्जनता का आवरण ओढ़ रखा है
सद्गुरु ही करा सकता है
वैसे ही सद्गुरु का साक्षात्कार
सत्पुरुष ही करा सकता है
सत्पुरुष के लक्षण क्या है?
सब जानते है परंतु व्यक्ति के बाह्य रूप से
सत्पुरुष की पहचान नहीं की जा सकती है
सत्पुरुष की पहचान क्या है?
जैसे लोह धातु का चुम्बक अपने सामान
गुणों से युक्त चुम्बक को आकर्षित कर लेता है
उसी प्रकार सत्पुरुष व्यक्ति को आकृष्ट
सत्पुरुष ही कर सकता है
सत पुरुष में सतगुण की वे तरंगे होती है
जिससे सतगुण से युक्त व्यक्ति
स्वतः खींचे चले आते है
यदि किसी व्यक्ति के बाह्य रूप से
सज्जनता परिलक्षित होती हो
परन्तु वह दुर्गुणों और व्यसनों से युक्त
व्यक्तियों से घिरा हो
उसको उन्ही लोगो में अच्छा लगता हो तो
यकीन मानिए वह व्यक्ति सत्पुरुष नहीं है
मात्र उसने सज्जनता का आवरण ओढ़ रखा है