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Wednesday, March 24, 2021

तथाकथित धार्मिक लोग

धार्मिक होना अलग बात है और मार्मिक होना अलग बात है । सच्चा धार्मिक व्यक्ति करुणा दया सहानुभूति संवेदना से भरा होता है। कार्य के प्रति समर्पण और ईमानदारी उसकी पहचान होती है ।धार्मिक व्यक्ति स्वयं कठोर परिश्रमी होता है ।वह दूसरों के पसीने और मेहनत का मूल्य पहचानता है । अहंकारी नही स्वाभिमानी और स्वालंबी होता है ।दुसरो की कड़वी बाते न तो सुनना पसंद करता हैऔर नही किसी को कटु वचन बोलता है ।
                   कुछ लोग दिन रात पूजा पाठ धार्मिक अनुष्ठान प्रवचन कहते सुनते रहते है ।परंतु निरन्तर नकारात्मक विचारों का प्रवाह उनके मस्तिष्क में चलता रहता है ।ईश्वर से भी मांगते है स्वयम के लिए ।दुसरो के  अनिष्ट करने के तरह तरह के उपाय उनके दिलों दिमाग मे उठते रहते है । दान देते है यश की इच्छा के लिये लोक कल्याण की भावना न तो उनमें होती है और नही किसी का कल्याण कर सकते है ।निरन्तर निंदा स्तुति करना ही उनके जीवन का मूल मंत्र होता है ।साधना से ज्यादा साधनों को महत्व देते है । ढकोसला पाखण्ड उनकी नस नस में भरा होता है ।लोगो को भृमित करने के वे इतने अभ्यस्त होते है कि उन्हें पहचान पाना आसान नही होता
     धर्म के प्रति आम जनता का विश्वास तथाकथित ऐसे धार्मिक लोगो के कारण ही उठ जाता है । ऐसे धार्मिक लोगो के कारण धर्म काफी क्षति उठाता है । ईश्वर के प्रति श्रध्दा कम हो जाती है । सज्जनता के प्रति लोगो के मन मे आदर घट जाता है । लोग देवस्थानों और संतो के पास जाना बंद कर देते है । व्यक्ति का विश्वास अच्छाई और सच्चाई से टूट जाता है ।  एक सच्चा व्यक्ति ईश्वर से रुठ जाता है
     तथाकथित धार्मिक लोगो में हीनता की भावना इतनी गहराई तक भरी रहती है । कि वे अपने से उच्च स्तर के साधक को फूटी आंख देखना नही चाहते। वे जैसे ही ऐसे साधक को देखते उनमे एक प्रकार का शत्रु भाव पैदा हो जाता है । उनको ऐसा लगता है जैसे उनके अस्तित्व को किसी ने चुनोती दे दी है ।  येन केन प्रकारेण  उनका यह प्रयास रहता  है कि ऐसा साधक उनकी नजरो से ओझल हो जाए। ऐसे तथाकथित धार्मिक लोगो से भगवान बचाये