शिव शंकर का ध्यान करो भीतर करो प्रवेश
कुदरत से श्रंगार धरे शिव का अदभुत वेश
कुदरत से श्रंगार धरे शिव का अदभुत वेश
शिव जी शक्ति देत रहे भक्ति और आनंद
सुरभित आस्था होत रही महकी आती गंध
सुरभित आस्था होत रही महकी आती गंध
शिव की पुत्री साथ रही साथ रहे सुख चैन
रेवा मैय्या बांट रही करुणा निश्छल प्रेम
रेवा मैय्या बांट रही करुणा निश्छल प्रेम
मुक्ति की मुस्कान रहे ज्योति पुंज है जीव
भक्ति जिसके पास रही पाया उसने शिव
भक्ति जिसके पास रही पाया उसने शिव
शिव शक्ति दोउ साथ रहे साथ रहे सब जीव
पूजित शक्ति होत रही वंदित होते शिव
पूजित शक्ति होत रही वंदित होते शिव
जीवन सारा बीत गया बीत गई कई रैन
शिवरात्रि को खूब मिला व्याकुल मन को चैन
शिवरात्रि को खूब मिला व्याकुल मन को चैन
शिव श्रध्दा से जीत मिली प्रीत भरी मुस्कान
हर निश्चय को लक्ष्य मिले शिव जी दो वरदान
हर निश्चय को लक्ष्य मिले शिव जी दो वरदान
शिव व्यापत हर रूप रहे धूप रहे और छाँव
दुर्बल मन की पीर हरो डग मग होती नाव
दुर्बल मन की पीर हरो डग मग होती नाव