यदि हम किसी के उपकार को याद कर पाये तो
हम उस व्यक्ति के कृतज्ञ है जिसने हमें उपकृत किया है
कृतज्ञता के धरातल पर मनुष्यता पलती है
कृतज्ञ होना अच्छे मनुष्य का लक्षण है
कृतज्ञता से हम किसी व्यक्ति के ऋण से उऋण हो सकते है
जिस व्यक्ति में कृतज्ञता का भाव नहीं है
वह किसी प्रकार की संवेदना और दया का पात्र नहीं है
संसार में बहुत से ऐसे लोग है
जो किसी भी व्यक्ति के द्वारा किये
उपकार को भूल जाते है
और उसी व्यक्ति की आलोचना करने लगते है
जिन्होंने बहुत सारे उपकार किये है
ऎसे लोगो को कृतघ्न कहा जाता है
दूसरी बार कोई व्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर
कृतघ्न व्यक्ति की कोई सहायता नहीं करता है
माता पिता से कृतघ्न पुत्र कपूत कहलाता है
गुरु से कृतघ्न शिष्य को ज्ञान भले ही ग्रहण कर ले
परन्तु गुरु का आशीष नहीं मिलता
प्राप्त ज्ञान का उपयोग नहीं कर सकता
देश की माटी से कृतघ्न व्यक्ति देश द्रोही
आश्रय दाता से कृतघ्न व्यक्ति विश्वासघाती कहलाता है
संसार में जो उपकार की भावना जो समाप्त हो रही है
उसका सबसे प्रमुख कारण कृतघ्नता है
इसलिए जीवन में जिसने भी
हमारा थोड़ा सा भी उपकार किया है
उसके प्रति कृतज्ञ अवश्य रहे