आदि शंकराचार्य शिव के अंश माने जाते है |
जब देश कई प्रकार के अंध विश्वासो
कर्म कांडो से घिरा हुआ था |
वैदिक ज्ञान लुप्त होने लगा था |
ब्राह्मण वर्ग स्वयं को श्रेष्ठ और शास्त्रो के ज्ञाता समझने लगा था |
शास्त्रो के अर्थ अपने स्वार्थ के अनुरूप निकाल कर धर्म को शोषण का साधन बनाने लगे था |
तब आदि शंकराचार्य के रूप में
भारतीय आध्यात्मिक क्षितिज पर
एक ऐसा महापुरुष पाया |
जिन्होंने सनातन वैदिक संस्कृति को
जीवन दान दिया |
धर्म को सभी प्रकार के आग्रहों से मुक्त किया
विशुध्द वैदिक मार्ग समाज को बताया |
तत्कालीन समय में शास्त्रार्थ के द्वारा पाखण्ड और गलत परम्पराओ से
मुक्त करने हेतु
उन्होंने काशी के महत्वपूर्ण विद्वानों को
पराजित कर उन्हें अपना अनुयायी बनाया |
सम्पूर्ण देश में अपनी धर्म ध्वजा को
फहराने के बाद जब देश में एक मात्र विद्वान पंडित मंडन मिश्र शेष रहे |
तब आदि शंकराचार्य
मंडन मिश्र की नगरी मंडलेश्वर पहुचे
और उन्हें अपने अकाट्य तर्कों से परास्त किया |
मंडन मिश्र की भार्या द्वारा
शास्त्रार्थ की चुनोती देने पर
उन्होंने गृहस्थाश्रम संबंधी प्रश्नो के
जबाब देने के लिए परकाया प्रवेश का मार्ग अपनाया |गृहस्थाश्रम का ज्ञान लेकर
पुनः निज शरीर में प्राण प्रविष्ठ कर
गृहस्थाश्रम के सभी प्रश्नो के जबाब दिए |
आज भी मंडलेश्वर में गुप्तेश्वर नामक शिव मंदिर स्थित है |
जहाँ आदि शंकराचार्य ने गृहस्थाश्रम
संबंधी प्रश्नो के उत्तर देने के लिए
परकाया प्रवेश हेतु निज देह से प्राण निकाले
और पुनः प्रविष्ठ किये थे |
वीडियो में दर्शित स्थल उन पलो का साक्षी है जो
गुप्तेश्वर महादेव के नाम से
मण्डलेश्वर नगर में जाना और पहचाना जाता है |