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Tuesday, July 10, 2012

चित्र +गुप्त

हिन्दू धर्म में मान्यता रही है
 चित्रगुप्त देव पाप पुण्य का लेखा -जोखा रखते है ,
चित्रगुप्त  का संधि विच्छेद करने पर चित्र +गुप्त  होता है
अर्थात जो व्यक्ति गुप्त रूप से किसी भी कृत्य का चित्र खींचता हो वर्तमान में इलेक्ट्रोनिक मीडिया में 
इस प्रकार का प्रचलन देखा जा रहा है 
किकुछ पत्रकार किसी भी प्रकार के अपराध का 
पर्दाफ़ाश करने के लिए उसके चित्र गुप्त तरीके से खिंच लेते है
  जब तक ऐसे व्यक्तियों को मानसिकता
स्वस्थ होती है 
तब तक वे चित्रगुप्त  देव के प्रतिनिधि होते है 
जैसे वे गुप्त रूप से खींचे गए चित्रों को निज स्वार्थो की पूर्ति के लिए करते है
 वे भगवान् चित्रगुप्त की दृष्टि में आ जाते है
कहा जाता है की भगवान् के घर देर होती है अंधेर नहीं होती 
जिस प्रकार वर्तमान न्याय प्रशासन व्यक्ति प्रतिरक्षा एवं सुनवाई का पूरा मौका देता है 
अपराध के अन्वेषण के प्रक्रम पर सम्पूर्ण साक्ष्य एकत्र की जाती है साक्ष्य एकत्र होने पर 
अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत होता है 
विचारण  के दौरान भी अभियुक्त को आरोप 
,अभियोजन साक्ष्य ,अभियुक्त परिक्षण ,प्रतिरक्षा साक्ष्य के
 प्रक्रम की प्रक्रिया से गुजरना होता है 
उसी प्रकार व्यक्ति जिसके अपराधो को जिसे मानव रचित न्याय प्रशासन विचारण न कर पाया हो 
ईश्वर अपने गुप्त कैमरे से खीच लेता है 
चित्रों का संग्रहण कर
व्यक्ति की आयु पूर्ण होने पर 
उनका उपयोग उस व्यक्ति से जुडी आत्मा की 
नियति तय करने के लिए करता है 
तब वह व्यक्ति जो अपने बुरे कर्मो को भूल जाता है
 और मात्र अच्छे कर्मो को याद रखता है के सामने एक -एक कर वे सारे चित्र ईशवर उसके सामने रखता है
 और उस व्यक्ति के लिए ईश्वरीय दंड निर्धारित करता है 
इस प्रक्रिया में भगवान् चित्रगुप्त की ही भूमिका रहती है 
इसलिए कहा जाता है की भगवान से कुछ भी छुपा हुआ नहीं है
 अगर आप ईश्वर के सामने 
अपने अपराधो को स्वीकार करो तो
 अपराध बोध की भावना जाग्रत होगी 
अपराध बोध की भावना जाग्रत होने से 
व्यक्ति प्रायश्चित करेगा 
अन्यथा ईश्वर भगवान् चित्र गुप्त द्वारा अंकित साक्ष्य के आधार पर कठोर दंड देते है