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Wednesday, April 11, 2012

कमल पुष्प ईश्वर को प्रिय क्यों ?

कमल ,पंकज ,इत्यादि नामो से संबोधित किये जाने वाला 
पुष्प देवताओं को क्यों प्रिय है
 कमल सतोगुण का प्रतीक है  यह पुष्प बताता है 
की किस प्रकार अभाव रूपी कीचड़ में अंकुरित होकर रवि किरणों से  जीवन प्रेरणाओ को पाकर प्रफ्फुलित ,पुलकित ,होना है 
जबकि गुलाब पुष्प रजो गुण का प्रतीक है 
जो अच्छी गुणवत्ता वाली मिटटी में तथा समुचित पोषण  से ही खिलता है 
भारतीय संस्कृति में सदा ही सत्य 
एवम उससे जुड़े सतो गुण को महत्त्व दिया है 
इसलिए महालक्ष्मी  कमल पुष्प उत्तिष्ठ मुद्रा में 
तथा ब्रह्म देव कमल पर विराजित मुद्रा में दिखाई देते है 
कमल गट्टे की माला से महालक्ष्मी की 
दिवाली के अवसर पर पूजा की जाती है
  
जबकि गुलाब पुष्प प्रारम्भ से ही प्रेम ,विलासिता ,उपभोक्तावादी सोच का पर्याय रहा है 
अर्थात यह पुष्प स्वयं सुविधा पूर्ण वातावरण में पल्लवित होता है
 तथा सुविधाभोगी वर्ग की प्रिय पसंद रहा है 
गुलाब पुष्प की रंगों एवम सुगंध की दृष्टि से जितनी प्रजातिया पाई जाती है 
 उतनी कमल की नहीं पाई जाती है 
इसके अतिरिक्त गुलाब पुष्प के पौधे की प्रत्येक डाली की कलम बनाकर 
नवीन स्वतंत्र पौधे में परिवर्तित किया जा सकता है जो प्राचीन समय में रक्त-बीज राक्षस की विशेषता थी  कि उसकी जहा भी रक्त बूंद गिरती थी 
वहा एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था
अर्थात सतोगुण व्यक्ति रंग एवम सुगंध बदलने में माहिर नहीं होते है 
इसके विपरीत रजोगुणी एवम तमोगुणी व्यक्ति परिस्थितियों के अनुसार रंग एवम सुगंध बदलने में निपुण होते है 
 उन्हें सहज ही समझ पाना कठिन होता है
तथा ऐसे व्यक्तियों की संख्या में देखते देखते वृध्दि होती जाती है
  कमल पुष्प रूपी सतोगुणी व्यक्ति संख्या में अल्प होते है
उनमे न तो शीघ्रता से संख्या में वृध्दि होती है 
और नहीं उनमे अचानक मित्रता एवं स्थापित होती है कहने का आशय यह है 
 ईश्वर को कमल पुष्प के समान स्वभाव वाला व्यक्ति प्रिय है 
इसलिए पूजा में कमल पुष्प का ही अधिक महत्त्व है 
ईश्वर को गुलाब जैसे रंग एवम सुगंध की विविधता लिए स्वभाव वाले व्यक्ति प्रिय नहीं है 
इसलिए ईश पूजा में गुलाब पुष्प का अधिक महत्त्व नहीं है 
परमात्मा का प्रिय बनना है तो जप ,तप,साधना के साथ स्वभाव से कमल पुष्प सा स्वभाव विकसित करना होगा