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Saturday, September 15, 2018

उत्सव धर्मिता

उत्सव धर्मिता बहुत अच्छी है 
व्यक्ति को उत्सव प्रिय होना चाहिए 
उत्सव से व्यक्ति में उमंगें आती है 
उमंग और उत्साह की स्फूर्ति से 
व्यक्ति ऊर्जा से भरपूर हो जाता है 
उत्सव सार्वजनिक रूप से मनाया जाए तो 
सामाजिक जीवन में 
आनंद का संचार होने लगता है  
परन्तु सार्वजनिक रूप से
 उत्सव मनाने के पीछे जो उद्देश्य थे 
वे धीरे धीरे विस्मृत होते जा रहे है 
निरंतर नवीन कुरीतिया 
और गलत परम्पराये स्थान लेने लगी है 
उत्सव के बहाने 
जबरन चन्दा वसूली ने उत्सव के 
आध्यात्मिक महत्व को 
समाप्त कर दिया है 
उत्सवो  के नाम पर महिलाओ से 
छेड़ खानी कन्याओ के  प्रति  
अश्लील व्यवहार 
नव युवको की उद्दंडता ने 
हमारी शुचित सांस्कृतिक परम्पराओ 
धर्मिक मान्यताओं को 
तोड़ने का प्रयास ही किया है
सड़को पर भीमकाय प्रतिमाऔ के नाम पर 
मार्ग पर अतिक्रमण और 
 देर रात्रि तक  कोलाहल पूर्ण वातावरण 
निर्मित कर हम आवगमन को 
अवरोधित ही नहीं करते है 
अपितु अस्वस्थ और वृध्द व्यक्तियो के 
ह्रदय व्यथित करने के साथ 
विद्यार्थियों के अध्ययन में भी 
बाधा कारित करते है 
उत्सव वह है हमें अपने उत्स से जोड़े
 वह नहीं जो पारस्परिक सम्बन्धो को तोड़े 
इसलिए हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि
 हम उत्सव धर्मिता को बचाये