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Sunday, May 17, 2020

"प्रेम लहरी " एक उपन्यास

हाल ही में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित "प्रेम लहरी " एक ऐसा उपन्यास है जो मुग़ल  बादशाह शाहजहाँ के शासन काल के समय प्रचलित व्यवस्था सामाजिक परिवेश उनकी पारिवारिक स्थितियो को दर्शाता है शाहजहाँ  की बेगम मुमताज के प्रति उनके प्रेम की परतो को खोलता है शाहजहां की १४ सन्तानो की उत्पत्ति को लेकर उनकी प्रेम के नाम पर कामुक भावनाओ का परिचय देता है |   वैसे तो इस उपन्यास में मुस्लिम शासन काल में हिन्दुओ के प्रति तीर्थ यात्रा को लेकर लिए जाने वाले कर का उल्लेख किया गया है तथा बिना शासकीय अनुमति के हिंदु  मंदिरो के निर्माण  किये जाने के निषेध सम्बंधित विधि की और ध्यान दिलाया गया है |  परन्तु  शाहजहाँ और उसके पुत्र दाराशिकोह को  हिन्दू मान्यताओं पर विश्वास  करने सम्बंधित प्रसंग भी बताये गए है |  त्रिलोकी नाथ पांडेय द्वारा अभिलिखित इस उन्यास को पढ़ते समय लगता है कि  हम उस युग में प्रवेश कर रहे है ।उपन्यास को पढ़ते समय कथानक के समस्त पात्रो के चित्र और स्थान हमारी कल्पना के पटल पर उतरते चले  आते है |
 उपन्यास का मुख्य पात्र पंडित जगन्नाथ के व्यक्तित्व का प्रभावी रूप से उल्लेख किया गया है पंडित जगन्नाथ की काव्यात्मक प्रतिभा और शारीरिक क्षमता का एक साथ होना शाहजहाँ  की सबसे छोटी पुत्री लवंगी के ह्रदय में प्रेम अंकुरित कर देता है | जहाँ  पंडित जगन्नाथ और लवंगी के बीच निश्छल प्रेम जो आध्यत्मिक उंचाईयों को छूता  है | वही शाहजहाँ  की बड़ी पुत्री जहां आरा  के बादशाह के साथ अनैतिक सम्बन्ध और रोशन  आरा के कामुकता  पूर्ण स्वेच्छाचारिता विचलित  कर देती है |  उपन्यास में पंडित जगन्नाथ के गुरु पंडित कवींद्र  के बारे में काफी अच्छे तरीके से बताया गया है | तत्कालीन समय में जो उनकी हिन्दू समाज में उपस्थिति दर्शाई गई है वह काफी महत्वपूर्ण है |  उपन्यास में एक पात्र आता है वैद्य  सुखदेव | वैद्य सुखदेव आर्युवेदिक ओषधियो  को  बाादशाह हेतु तैयार कर करता है और किस प्रकार बादशाह तैयार की गई वाजीकारक ओषधियो का उपयोग कर अपनी वासनाओ की तुष्टि करते है यह बहुत ही चुटीले अंदाज बताया गया है | 
         उपन्यासकार द्वारा भाषा का चयन  पात्रो के अनुसार किया है |  उपन्यास में यथा  स्थान पात्रो के संवाद जिस चुटीली भाषा में अंकित किये गए है उनसे राग दरबारी की याद आ जाती है | विशेष रूप से काशी में एक निः संतान सेठ को संतान प्राप्ति पर शिव मंदिर निर्माण का घटनाक्रम में उपजे शब्द चित्र उपन्यासकार श्री  लाल शुक्ल के उपन्यास "राग  दरबारी "की याद दिला देते है |  प्रेम लहरी उपन्यास में पात्रो के माध्यम से लेखक ने कई भजनो ,श्लोको आर्युवेदिक ओषधियो के सूत्रों का उल्लेख किया है | उपन्यास पढ़ते समय लगता है लेखक ने उपन्यास  वर्णित काल को जिया है \उपन्यास के अंत में प्रेमी जोड़े पंडित जगन्नाथ एवं शहजादी लवंगी का विवाह धर्म की दीवारों के कारण असंभव होना दर्शाते हुए \बादशाह शाहजहाँ  को एक हिन्दू विधवा चंद्रशिला के शीलभंग  के प्रयास और प्रयास के दौरान चंद्रशिला द्वारा आत्महत्या की जा बताया है \ कुल मिलाकर यह उपन्यास पाठको की ऐतिहासिक  जिज्ञासाओं को शांत करता है \शाश्वत प्रेम के प्रति आस्था जाग्रत करता है \ मुग़ल बादशाह शाह जहां के तथाकथित प्रेम के प्रति भ्रांतियों का निवारण करता है