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Friday, February 8, 2013

गुणो की परिक्षा


व्यक्ति के गुणो की परिक्षा अनुकूलताओ मे नही प्रतिकूलताओ मे होती है
मित्रो और रिश्तो की परिक्षा विपदाओ मे होती है
ज्ञानी के ज्ञान की परिक्षा ज्ञान के प्रयोग और प्रचार से होती है
कर्मकार के शिल्प की परिक्षा शिल्प की जीवन्त हो जाने से होती है
वीरो के बल की परिक्षा धैर्य और साहस से होती है
स्त्री के चरित्र की परिक्षा रुपवान होने पर होती है
स्त्री के रुप की सार्थकता आंतरिक सौन्दर्य से होती है
व्यवहार की कुशलता की परिक्षा
अपरिचित व्यक्तियो के बीच सफलता पूर्वक
सामंजस्य स्थापित करने से होती है
व्रत और उपवास की सार्थकता व्रत्तियो पर नियंत्रण करने पर होती है
म्रदु भाषा की सार्थकता किसी के हित पर निर्भर होती है
सत्य वचन जब तक तथ्य पर आधारित न हो खरा और सत्य नही होता
कटुता वैमनस्यता का कारण जरूर हो सकती है
पर कटू वचन सदा अहित कर नही होते
दुर्बल वे व्यक्ति है जो सदा असुविधाओ और साधन हीनता का रोना रोते
दरिद्र वे व्यक्ति है जो मन से दरिद्र है
धनवान धन से नही होते धन के सद उपयोग होते है