राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास शिगाफ महिला लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखित है। उपन्यास का आरम्भ कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार की एक युवती अमिता जो स्पेन के बार्सिलोना और मेड्रिड शहर में निवास करती है कि आत्मकथा के रूप में लिखी जाने वाली डायरी से होता है । लेखन और अनुवाद के व्यवसाय से जुड़ी कश्मीरी युवती का संपर्क प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े इयान ब्रान से होता है। अमिता और इयान के प्रेम और प्रणय की परिस्थितियों के बीच उपन्यास की कथा आगे बढ़ती है , जो बार बार स्पेन और कश्मीर के बीच की सामाजिक परिस्थितियों और राजनैतिक पृष्ठभूमियो के विश्लेषण तक पहुचती है
अमिता उपन्यास की कथा के अनुसार आत्मानुभव अपने भाई अश्वथ से ब्लॉग के माध्यम से बाँटती है ।कालांतर में अमिता भारत में आ जाती है। दिल्ली शहर में अमिता उसके पिता और उसके अंकल जो कश्मीर से विस्थापित हो कर कठिन परिस्थितियों में रह रहे है ।उनके कश्मीर की समस्या के प्रति दृष्टिकोण और अनुभूतियो को देखती है ।जम्मू के शरणार्थी शिविरों में कश्मीरी पंडितों की यंत्रणा पूर्ण जिन्दगो को यह उपन्यास परिचित कराता है
उपन्यास की कथा के दौरान अमिता कश्मीर के श्रीनगर और पहलगाम पहुचती है जहाँ उसके भाई अश्वत्थ का रंगकर्मी मित्र वजीर मिलता है जो उसके पैतृक निवास स्थान पर ले जाता है अमिता के सामने वे भावुक पल होते है जब उन्हें आधी रात को उसके परिवार सहित कश्मीर से खदेड़ा गया था । कश्मीर में अमिता उसके शिक्षक रहमान सर से मिलती है ।रहमान सर की लड़की यास्मीन जो अमिता की बचपन की सहेली होती है उसकी डायरी जब अमिता को रहमान सर से प्राप्त होती है ।तब उपन्यास यास्मीन की आत्मकथा के रूप में प्रारम्भ होता है ।जिसमे यास्मीन का निकाह एक विधुर से कर दिया जाता है।।कश्मीरी युवतियों को आतंकवादियों द्वारा प्रेमपाश में फांस कर किस प्रकार मानवबम के रूप में प्रयुक्त किया जाता है ,यह उपन्यास में अच्छी तरीके से बताया गया है ।कश्मीर समस्या पर उपन्यास के माध्यम से विभिन्न दृष्टि से देखने का प्रयास किया गया है । कश्मीर समस्या के फलस्वरूप उपन्यास में यह तो बताया ही गया है कि कश्मीर में किस प्रकार कश्मीरी पंडितो पर नृशंस अत्याचार कर बेदखल किया है साथ मे यह भी बताया गया है एक आम कश्मीरी किस प्रकार से आर्मी और आतंकवादियों के बीच मे बुरी तरह फंसा हुआ है ।कई गांव पुरुष विहीन हो चुके है मात्र महिला, बच्चे और वृध्द बचे हुए है ।उपनयास का अंत भूकम्प की त्रासदी से होता है
उपन्यास की मुख्य पात्र अमिता निरन्तर प्रेम और प्रणय के निश्चय अनिश्चय में झूलती रहती है ।कभी वह इयान ब्रान के प्रति तो कभी कश्मीरी पत्रकार जमाल के तो कभी आर्मी के जवान शांतनु में अपना प्रेम तलाशती है ।उपन्यास में अलग अलग प्रक्रमो पर अलग अलग पात्र आत्मकथा के रूप उपन्यास की कहानी को आगे बढ़ाते है ।उपन्यास में पात्रो द्वारा स्वयम से संवाद भी किया गया है ।संवाद की भाषा और भाव काव्यात्मक होकर अनुभूतियो की प्रखरता को प्रकटित करते है