वृक्ष हो या व्यक्ति उसका बड़ा होना पर्याप्त नही है। घना होना भी आवश्यक है, नही तो लोग ऊंचाई से आतंकित होने लगते है ।पास आने पर भी डर लगता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में ऊंचाई के साथ घनत्व भी होना चाहिये ।घनत्व के साथ व्यक्ति के व्यक्तित्व में गुरुत्व भी होना चाहिए
लोग अक्सर सफलता और ऊँचे लक्ष्य पाकर उदारता खो देते है उदारता ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की सघनता निर्धारित करती है अहंकार से ग्रस्त होने पर व्यक्ति किसी काम का नही रहता । अधिकार और वैभव प्राप्त होने पर तो कोई भी व्यक्ति सामान्य शिष्टाचार भूल जाता है । अपने अधिकारों का दुरुपयोग प्रारम्भ कर देता है ।ऐसे अहंकारी व्यक्ति से किसको क्या मिल सकता है ? जो लोग ऐसे व्यक्ति से कोई आशा रखते है तो वह ऐसा ही होगा जैसे रेत में से कोई व्यक्ति तेल निकाल ले। मरुथल में कोई व्यक्ति उद्यान लगा ले ।जो वृक्ष सघन होते है वे ही छायादार और फलदार होते है । जो व्यक्ति उदार होते है वे मानवीय गुणों की सघनता से परिपूर्ण होते है उनके पास दुसरो को देने के लिए सकरात्मकता ,सर्जनात्मकता ,होती है इसलिए लोग उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर खींचे चले आते है । उन्हें जबरन किसी को बुलाने की आवश्यकता नही होती है अपनी बात को मनवाने के लिए कुतर्को का सहारा नही लेना पड़ता । उनके व्यक्तित्व में सदैव स्नेह संवेदना और करुणा की छाया रहती है । उनका सानिध्य मात्र ही तन मन को आल्हादित कर देता है
घने वृक्षो के पत्तो और डालियो पर जिस प्रकार पंछी सुरक्षा का भाव पाते है ।अपने घोंसले बनाते है । पथिक थकान मिटाते है ।घने वृक्ष की विद्यमानता यह सुनिश्चित करती है कि उसके आस पास निश्चय ही मीठे जल का स्त्रोत होगा । उसी प्रकार से सघन व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति की सघनता के पीछे उनकी जड़ो की गहनता और संस्कारों की विरासत होती है ।