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Tuesday, January 12, 2016

संकल्प सेवा और विवेकानंद


संकल्प में बल होता है |
संकल्प में साहस होता है|
संकल्प के दम पर मधुमास आस पास होता है | 
संकल्प में दिशा है |
सुधर जाती हर दशा है
संकल्प के भीतर कितने लक्ष्य है
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हर लक्ष्य के भीतर परिश्रम है
धैर्य रचा बसा है |
संकल्प वह दीप है
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जो निर्विकल्प निर्विकार है
संकल्प से भरे हुए हृदय में रहे शुध्द विचार है
संकल्प से संसार ने भागीरथी को पाया है
संकल्प के सहारे महापुरुषों ने की मानवता की सेवा
हर इंसान के भीतर नारायण को विवेकानंद ने पाया है
संकल्प गीता है उपनिषद है वेद की ऋचा है
संकल्प से ब्रह्मा ने रची है सृष्टि
बृम्हाण्ड अनन्त प्रकाश वर्षो को रचा है
संकल्प जिसने पाया है
सुख चैन उसने त्यागा है
समस्त कामनाओ को छोड़
साधक वैराग्य और भक्ति की और भागा है
इसलिए संकल्पों की शिखा से  ही
मुश्किल और धुंधला अक्स भी दिखा है
संकल्पों से भरा इंसान कितना भी हो जाए मजबूर 

किसी भी परिस्थिति में नहीं बिका है