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Friday, September 20, 2013

उपयोगिता और व्यक्ति का मुल्य

व्यक्ति हो वस्तु  हो या हो कोई प्राणी 
उसका महत्त्व उसकी उपयोगिता से होता है
उपयोगिता एक बार किसी व्यक्ति द्वारा प्रमाणित कर दी जाए 
तब उसकी अनुपस्थिति एक प्रकार की रिक्तता 
और अभाव की अनुभूति देती है 
जो व्यक्ति परिवार समाज परिवेश में 
अपनी उपयोगिता प्रमाणित नहीं कर पाया हो 
वह महत्वहीन हो जाता उसके रहने या रहने से 
किसी को कोई अंतर नहीं पड़ता
व्यक्ति की उपयोगिता ही उसका मुल्य निर्धारित करती  है
 इसलिए हमें अपना सही मूल्यांकन करना हो तो 
यह विश्लेषण करना होगा की हमारी उपयोगिता क्या है 
जिस व्यक्ति ने स्वयम का मूल्यांकन और विश्लेषण नहीं किया 
उस व्यक्ति में सुधरने  की कोई संभावना नहीं होती 
ऐसा व्यक्ति न तो किसी के काम आ पाता  है 
और नहीं स्वयं के काम का रह पाता  है 
इसलिए जीवन व्यक्ति के उत्थान का सबसे सरलतम मार्ग यह है
हम परिवार समाज और परिवेश के लिए उपयोगी  बने 
एक बार हमारी उपयोगिता प्रमाणित हो जावेगी 
तब लोगो को हमारी उपस्थिति अनुपस्थिति का अहसास होगा
 तब हमारा व्यक्तित्व अमुल्य हो जावेगा