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Sunday, September 2, 2012

कर्म प्रधान वर्ण व्यवस्था

प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था जन्म प्रधान न होकर कर्म प्रधान थी
इस तथ्य की पुष्टि के लिए हमें  महर्षि विश्वामित्र ,महर्षि वाल्मीकि 
,भगवान् परशुराम के जीवन पर दृष्टिपात करना होगा
महर्षि विश्वामित्र क्षत्रिय वंश में जन्म लेने के बावजूद 

प्रबल पुरुषार्थ के कारण ब्रह्मऋषि कहलाये
तत्कालीन ब्रह्म ऋषियों ने शामिल करने से इनकार कर दिया तो 
प्रखर तपस्या के बल पर उन्होंने यह पद
सृष्टि के रचयिता ब्रह्म देव की आराधना कर प्राप्त किया
महर्षि वाल्मीकि जो शूद्र कुल में उत्पन्न हुए थे
जीवन का बहुत समय पतित कर्मो में बीतने के बाद 

महर्षि नारद से मार्गदर्शन प्राप्त कर
वे भगवान् विष्णु के अवतार श्रीराम की भक्ति में लीन हो गए
बरसो तपस्या करने के बाद उन्हें आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ
और एक अशिक्षित शूद्र जाती में जन्म लेने वाला व्यक्ति 

संस्कृत का विद्वान बना
ब्रह्म तत्व  में विचरण करने के कारण उन्होंने रामायण का निर्माण ही नहीं किया
अपितु भगवान् श्रीराम के जीवन के उत्तरार्ध्द के साक्षी रहे 

और उन्होंने श्रीराम की जीवन संगिनी का प्रश्रय दिया
भगवान् परशुराम जो ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए
तत्कालीन शासक सहस्त्रार्जुन के अत्याचार के विरुध्द 

परशु को शस्त्र के रूप में धारण किया
कहते है २१ बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया
किन्तु यह कर्म कर स्वयं को ब्राह्मण से क्षत्रिय में 

रुपान्तारित होने से रोक नहीं पाए
 रावण जो पुलस्त्य ऋषि का संतान था
सत्ता ,शक्ति ,और ज्ञान के मद में जब पतित कर्मो की और 

अग्रसर होने लगा
तो जन्म से वह ब्राह्मण होने के बावजूद राक्षस वर्ण में चला गया
वर्तमान में कुछ लोग उच्च वर्ण में जन्म लेने के 

बावजूद अधम कर्मो में लिप्त होने से
कर्मो के आधार पर समाज में निम्न अवस्था को प्राप्त होते है 

तथा सारा दोष भाग्य पर डाल देते है
इसके विपरीत कुछ लोग निम्न वर्ण में जन्म लेने के बावजूद 

प्रखर परिश्रम एवं प्रबल पुरुषार्थ व नैतिक गुणों के आधार 
पर समाज में उच्च स्थान प्राप्त करते है
मात्र धन एवं पद के आधार पर कोई व्यक्ति सम्मान 

प्राप्त नहीं कर सकता
व्यक्ति को सच्चा सम्मान तभी मिलता 

जब वह लोगो के ह्रदय में स्थान बना सके
ऐसा व्यक्ति सच्चे अर्थो में
ब्रह्म
में विचरण कर ब्राहमण वर्ण 
को प्राप्त करता है
शेष व्यक्ति जो धन एवं पद के कारण स्वयं में 

बड़े होने का भ्रम पाले रखते है
वे सच पूछो तो शुद्र वर्ण की और अग्रसर होने की प्रक्रिया में है