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Thursday, November 8, 2018

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा का भारतीय सांस्कृतिक परम्परा का अत्यधिक महत्व है। पशुपालन के साथ पर्यावरण के प्रश्न भी जुड़े है द्वापर युग मे जब बिगड़ते पर्यावरण के कारण मौसम का संतुलन बिगड़ने लगा था तो गोकुल की जनता अतिवृष्टि से त्राहि त्राहि करने लगी थी ।उस समय भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत का आश्रय लेने का विचार सामने रखा और उसकी पूजा की परंपरा प्रारम्भ की ।गोवर्धन पर्वत की पूजा का आध्यात्मिक अर्थ के साथ इस उद्देश्य को हमे समझना होगा कि पर्वत और पेड़ हमारे रक्षक है ।वृक्ष पर्वत पर होने से भूमि पर्वत श्रंखलायें हमे तेज हवाओं से बचाती है ।वर्षा का जल भूमि के भीतर पहुचाने में  और मिट्टी के कटाव को रोकने में पेड़ की जड़े  अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।गोवर्धन पर्वत को उंगली पर धारण करने का तात्पर्य यह है कि हम सभी यदि अंश मात्र भी पर्यावरण संरक्षण में सहयोग कर पाए तो हमे किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा का सामना नही करना पड़ेगा ।इसलिए आओ हम गोवर्धन पूजा के इस पर्यावरण की रक्षा का संकल्प ले ।यदि हम एक वृक्ष को बड़ा न कर पाए तो कम से कम किसी पेड़ के ध्वंस का कारण तो न बने यही सच्ची गोवर्धन पूजा होगी